इंदौर. बांग्लादेश में नोबल पुरस्कार प्राप्त मोहम्मद युनूस भले ही अंतरिम सरकार का सर्वेसर्वा बन गया हो, यह बंदा इतना बिगडैल और शैतान प्रवृत्ति का है कि इसके कारनामों की जितनी निंदा की जाए, उतनी कम है। मैं इसके कार्यकलापों की घोर निंदा करता हूं और अब तो चारों ओर से आवाज आना चाहिए कि भारत सरकार को यदि घुसकर मारना है तो यही सही समय है, बांग्लादेश में घुसकर मारने में हमारी सरकार को कोई संकोच नहीं करना चाहिए।
राम जन्मभूमि न्यास अयोध्या के न्यासी एवं कोषाध्यक्ष तथा श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास मथुरा के उपाध्यक्ष राष्ट्र संत स्वामी गोविंददेव गिरि ने सोमवार को गीता भवन में चल रहे 67वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव की धर्मसभा के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि बांग्लादेश में अत्यंत चिंताजनक स्थिति बन गई है, जिसकी घोर निंदा की जाना चाहिए। प्रचार माध्यमों से जो जानकारियां प्राप्त हो रही हैं, उसे देखते हुए यही कहूंगा कि अब देश में चारों ओर से आवाज आना चाहिए कि सरकार को घुसकर मारना है तो यही सही समय है।
उन्होंने गीता भवन ट्रस्ट द्वारा बांग्लादेश सनातनधर्मियों पर में हो रहे अत्याचारों के विरोध में चलाए जाने वाले हस्ताक्षर अभियान का भी शुभारंभ किया। ट्रस्ट के अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी और अन्य पदाधिकारियों ने जब उनसे राष्ट्रपति के नाम तैयार ज्ञापन पर हस्ताक्षर का अनुरोध किया तो उन्होंने तत्काल प्रथम संत के रूप में हस्ताक्षर किए और कहा कि अब यह अभियान चारों ओर आवाज उठाने वाला बनना चाहिए। स्वामी गोविंददेव गिरि के अलावा इस ज्ञापन पर अंतर्राष्ट्रीय रामस्रेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज ने भी आज हस्ताक्षर किए।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि म.प्र. के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य के सभी जिलों में गीता भवन बनाने और उनके लिए 2878 करोड़ रुपए की धनराशि मंजूर करने का जो कदम उठाया है, वह अभिनंदनीय है। गीता एक धर्म निरपेक्ष ग्रंथ है और वास्तव में सरकार को चाहिए कि गीता पढ़ने वाले बच्चों को पुरस्कार भी दें और उनका उत्साहवर्धन करें।
स्कूलों और कालेजों की किताबों में भी गीता को पाठ्यक्रम के रूप में निश्चित रूप से शामिल करना चाहिए। गीता किसी धर्म या पंथ विशेष का ग्रंथ नहीं, बल्कि प्राणी मात्र के लिए कल्याणकारी ग्रंथ है। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के बारे में उन्होंने कहा कि मंदिर का वार्षिकोत्सव 22 जनवरी को नहीं बल्कि 11 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा, जिसे प्रतिष्ठा द्वादशी नाम दिया गया है।
यह उत्सव 11 से 13 जनवरी तक 2025 लगातार चलेगा और उस दौरान पूजा-अर्चना, रामलला को राजकुमार के रूप में श्रृंगारित कर विभिन्न आयोजन होंगे। इसमें तीनों दिन अलग-अलग श्रृंगार और अनुष्ठान होंगे। अभी मंदिर के प्रथम तल और दो अन्य तल के काम पूरे हो गए हैं। मंदिर का पूरा काम दो वर्षों तक चलेगा। अभी कुल मिलाकर वहां 13 मंदिर बनाए जाएंगे और उनके लिए हमें प्रशिक्षित पुजारियों की जरुरत पड़ेगी, जिनके प्रशिक्षण का काम निरंतर चल रहा है।
उन्होंने कहा कि राम मंदिर के लिए जो धन संग्रह किया गया है, उसका उपयोग मंदिर निर्माण में ही किया जाएगा और अन्य जो भी गतिविधियां या उत्सव मनाए जाएंगे उसके लिए अलग से निधि का निर्माण करने का प्रस्ताव है। हम अयोध्या को विश्व की सांस्कृतिक राजधनी के रूप में विकसित करना चाहते हैं।