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indore news : आचार्यश्री सिर्फ जैन समाज की अमानत नही थे, वे जन-जन के भगवान थे : सांसद श्री शंकर लालवानी

इंदौर Published by: sunil paliwal-Anil Bagora Updated Wed, 21 Feb 2024 08:18 PM
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इंदौर : संस्कृत के प्रकांड विद्धवान और बनारस संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व कुलपति मिथिला प्रसाद त्रिपाठी ने कहा मैं आचार्य श्री से लगभग 40 वर्ष से सपर्क मैं था. उनके सान्निध्य में जो परम ज्ञान प्राप्त हुआ वह सदैव हमारे अंतरमन में रहेगा. 

ट्रस्ट के कार्याध्यक्ष अशोक दोषी ने कहा कि सरकार से मांग करते हुए कहा कि आचार्यश्री के देश को किये गए परोपकार कार्यो के लिए भारत रत्न मिलना चाहिए साथ ही उनके नाम पर भारत का कोई पुरस्कार भी मिलना चाहिए ताकि आचार्यश्री को सदैव स्मरण किया जा सके.

सांसद श्री शंकर जी लालवानी ने कहा कि आचार्यश्री सिर्फ जैन समाज की अमानत नही थे, वे जन-जन के भगवान थे. जब देश का प्रधानमंत्री जिस संत से अपनी हर समस्या का समाधान पूंछता हो, तो ऐसे आचार्य श्री का वर्णन शब्दों में करना संभव नहीं है. लालवानी ने सभी सर्वसमाज को आश्वासन भी दिया कि मैं आचार्य विद्यासागर जी को भारत रत्न दिलाने के लिए पूर्ण प्रयास करूँगा. 

श्वेताम्बर समाज के वरिष्ठ समाजसेवी एवं अनेको संस्थाओ के अध्यक्ष प्रकाश भटेवरा ने कहा आचार्य श्री का जाना सम्पूर्ण मानव समाज की छती है. श्वेताम्बर समाज हमेशा से आचार्यश्री के पास अनेको अवसर पर जाकर मार्गदर्शन लेता रहा है. 

बोहरा समाज से बुहरूद्दीन सकरूवाला ने कहा कि विद्यासागर जी की प्रेरणा और उनके कहे वचन का अनुसरण करके उनको हमेशा याद  रखें और उनके बताएं सेवा कार्यो को पूर्ण करना ही हमारा लक्ष्य है. 

सिख समाज एवं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष  श्री दिलीप राजपाल ने कहा हम उन्हें याद कर भावुक हो जाते है मैं पूरे सिख सामाजिक की ओर से विनयांजलि अर्पित करता हूं. 

देवी अहिल्या विश्विद्यालय की कुलपति  रेणु जैन ने कहा कि आचार्य श्री हम सबके रग-रग मैं बसे है, उनका बताया मार्ग हम सभी के जीवन को प्रकाशमय करता रहेगा. 

ब्रह्मकुमारी आश्रम की बहन राजेश्वरी दीदी ने कहा कि आचार्य श्री जन-जन आराधना संत थे. उन्होंने बच्चियों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार प्रवाहित करने के लिए जिन प्रतिभा स्थलियों की स्थापना की है, वो अनुकरणीय है. ऐसे सेवा भावी आचार्यश्री हम सबके मार्गदर्शक हमेशा बने रहेंगे. 

विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष श्री हुकुमचंद सांवला ने आचार्यश्री के जीवन के किये गए पूण्य कार्यों को आंकड़ों के रूप मे समझाया और बताया कि आचार्यश्री क्या थे. 

ब्रम्हचारी जिनेश भैया जी ने पालीवाल वाणी को बताया कि आचार्यश्री के द्वारा अभी तक कुल 517 दीक्षाये प्रदान की है वे विश्व के सबसे ज्यादा दीक्षा देने वाले संत है.

राहुल जैन (स्पोर्ट्स वर्ल्ड) ने बताया कि गुणानुवाद सभा में पंड़ित भारत शास्त्री, अनिल जी बंगनी, यशवंत जी जैन, कैलास जी नहर, टीनू जी जैन (पार्षद), सुरेश काला, प्रकाश चंद शास्त्री, अध्यक्ष नरेंद्र जैन, शिरीश  अजमेरा, आनंद गोधा, सोनू जैन  वास्तुविद राजेन्द्र वास्तु, मुम्बई से बी एल जैन, वास्तुविद पंकज अग्रवाल, सुप्रीम कोर्ट जज श्री सतीश जी शर्मा, राजकुमार पटौदी, अशोक बडज़ात्या, प्रदीप बडज़ात्या, डी के जैन, अशोक अधिकारी, मनोज बाकलीवाल, मनीष नायक, दिनेश चेतक, पंकज जैन (पिंकी) ने भी अपने शब्दों मैं आचार्यश्री को विनयांजलि दी. सम्पूर्ण विनयांजलि सभा का संचालन दयोदय ट्रस्ट के महामंत्री सचिन जैन उद्योगपति ने किया एवं आभार भरतेश बडक़ुल ने माना.

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