एप डाउनलोड करें

जहर का डर... पीथमपुर से लोगों का पलायन भी शुरू

इंदौर Published by: रोहित पचौरिया Updated Sun, 05 Jan 2025 12:17 AM
विज्ञापन
Follow Us
विज्ञापन

वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

रोहित पचौरिया

इंदौर.

जिस जहरीले कचरे की आग इंदौर, भोपाल से लेकर पीथमपुर तक धधक रही है उसने पूरे प्रदेश के सिस्टम को हिलाकर रख दिया...जबरदस्त विरोध के बीच अब एक और दुःखद खबर सामने आ रही है... खबरों की मानें तो पीथमपुर स्थित जिस रामकी कम्पनी के ठिकाने पर यह कचरा स्वाहा होगा वहां से लगे तारपुर गांव के लोगों ने डर के चलते पलायन करना भी शुरू कर दिया है...

इस गांव के कई घरों पर ताले डल चुके हैं, तो जो बचे हैं वह भी अपना कहीं और ठिकाना ढूंढ रहे हैं... ग्रामीणों में डर की बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि वर्ष 2008 में जिस 10 टन कचरे को यहां दफनाया गया था उसके चलते यहां की नदी का पानी काला पड़ चुका है... यहां तक कि यहां के बोरिंगों का पानी भी अब पीने लायक नहीं बचा... सरकार भले ही जांचों के हवाले कई तरह की सफाई दे, लेकिन जो ग्रामीण यहां निवासरत हैं वह उन जांचों पर जरा भी विश्वास नहीं कर रहे और यहां से पलायन को मजबूर हैं...

इन ग्रामीणों ने मीडिया को बताया कि यहां का पानी पीने के लायक को दूर, नहाने या बर्तन धोने तक के लिए भी उपयोग नहीं लाया जा सकता... इस पानी के कारण लोग कई बीमारियों से जूझ भी रहे हैं और चमड़ी से जुड़े कई रोग भी यहां के ग्रामीणों में पनपने लगे... इन ग्रामीणों का कहना है कि हमें जीना है इसलिए यहां कमाने आए थे... जब जीवन ही नहीं बचेगा तो ऐसी कमाई का क्या मतलब...

वहीं विजेन्द्र शाह नामक व्यक्ति ने भी मीडिया में बयान दिया कि पूर्व में दफनाए गए कचरे और खराब पानी की बदौलत मुझे दो बार चमड़ी से जुड़ी बीमारी हो चुकी है... 15 साल पहले यहां सिर्फ कम्पनियां थीं, लेकिन अब यहां ट्रेंचिंग ग्राउंड भी बना दिया... ग्रामीणों की मांग है कि अगर सरकार को यहीं कचरा जलाना है तो उसे पूरे तारापुर गांव को कहीं और बसाना चाहिए...

ग्रामीणों का कहना है कि इस रामकी कम्पनी में अन्य शहरों से पहले भी खतरनाक कचरा यहां लाकर उसका निपटान हुआ, जिसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है... इनका कहना है कि जबसे इस भोपाली कचरे के बारे में सुना है तब से हमारी रातों की नींद भी उड़ गई..!

जो तस्वीर सामने आई वो चौंका गई

पीथमपुर की रामकी कंपनी से 200 मीटर दूर गांव में 24 घंटे के हंगामे के बाद पीथमपुर का हाल कैसा है? पर जो तस्वीर सामने आई वो चौंका गई...गांव की गलियां सूनी थी...कुछ लोग परिवार के साथ मकानों की छत पर खड़े थे...वो देख रहे थे, उन 12 कंटेनर को, जो रामकी कंपनी में खड़े थे...इन कंटेनर को देखकर गांव वाले आपस में चर्चा भी कर रहे थे...ये नजारा देखकर कुछ घरों की चौखट पर ताले नजर आते हैं...ये बात चौंकाने वाली थी, क्योंकि गांव की आबादी महज 1500 है...करीब 300 परिवार इस गांव में रहते हैं...आखिर इतनी कम आबादी के गांव से लोग अचानक कहां चले गए...?  

और पढ़ें...
विज्ञापन
Next