इंदौर। पालीवाल ब्राह्मण समाज 24 श्रेणी इंदौर के सर्वश्री उमाशंकर जी, रूपलाल जी, भवानीशंकर जी, सुरेश जी, प्रकाश जी की पूज्ज्नीय माताजी एवं अंकित जोशी की दादी जी समाजसेविका श्रीमती बसंती बाई पति चुन्नीलाल जोशी (ग्राम.पर्वतखेडी) का श्रीजी शरण हो गया। अंतिम शवयात्रा दिनांक 21 जूलाई 2016 को निवास स्थान 198, आनंद नगर, चितावाद रोड़, नवलखा से जूनी इंदौर, इंदौर मध्यप्रदेश मुक्तिधाम सुबह 11 बजे जाएगी। समाज में शोक छाया श्रीमती बंसती बाई के निधन के समाचार मिलते ही परिजनों के साथ समाज में गहरा शोक छा गया। श्रीमती बसंती बाई सहज, मिलनसार, दुसरों के दुखों को अपना दुःख समझ कर उनकी हर दम मदद करने को लेकर तत्पर रहती थी। समाज अध्यक्ष श्री मुकेश जोशी, सचिव श्री घनश्याम पालीवालने कहा कि श्रीमती बसंती बाई जोशी के निधन पर समाज को काफी क्षति पहुंची। जिसकी भरपाई करना संभव नहीं हैं। समाजसेविका के रूप में उनको समाज सदैव याद रखेगा। पालीवाल वाणी समूह ने शोकाकुल परिवार के लिए आराध्य देव श्री चारभुजा जी से प्रार्थना की है कि उन्हें धेर्य रखने की शक्ति प्रदान करें तथा बसंती बाई को अपने चरणों में स्थान देकर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। श्रीमती बसंती बाई जोशी को श्रद्वाजंलि दी आपके निधन पर पालीवाल वाणी समुह, संस्था ब्राह्मण परिवार, श्री चारभुजानाथ पैदल यात्री संघ, श्री चारभुजा सेवा मंडल, श्री पालीवाल मेवाड मंडल भोपाल, मेनारिया ब्राह्मण समाज, मेनारिया युवा ग्रुप, आरसी दवे (कमांडर) मित्र मंड़ल, पालीवाल संस्था, पालीवाल समाज कोणावटी चैराई, राज., मेनारिया ब्राह्मण समाज, देवी मां चित्रलेखा ग्रुप, कट्टर हिन्दु महराज ग्रुप, सीताराम परिवार, सांई ज्योति फाउंडेशन, श्री शिव भक्त रामायण मंडल, श्री पालीवाल जय अंबे ग्रुप, रामयाण भजन मंडल, पालीवाल मैत्री प्रयास, बागोरा ग्रुप, श्री चारभुजा टेंट हाऊस, चारभुजा सेवा मंडल, श्री लक्ष्मीनारायण मंडल, मुसाखेडी के राजा, पालीवाल राजनीति, हिन्दु वीर, पालीवाल सौश्यल ग्रुप, वंदे मातरम् ग्रुप, पालीवाल मित्र मंडल, पालीवाल मेंवाड़ मित्र मंड़ल, मेवाड महासंघ, संस्था मेंवाड, लक्ष्मीबाई मंडल विधान सभा क्रमांक 1, बीजेपी लोकसभा चित्ताोडगढ, स्मार्ट रूडेडा,, श्री गुटकेश्वर भक्त मंडल, पालीवाल बंधु, जय चारभुजारी, श्री चारभुजा भक्त मंडल, मां सर्वशक्तिमान भजन मंडल, छप्पन इंदौरी फैन्स क्लब,भेरूनाथ मानस मंडल, संजय शुक्ला मित्र मंडल आदि ने श्रद्वाजंलि दी।