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World Bank : ने जताई आर्थिक मंदी की आशंका, इन वजहों से बढ़ेगा ग्लोबल संकट : David Malpass

देश-विदेश Published by: Paliwalwani Updated Fri, 27 May 2022 02:05 AM
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रूस-यूक्रेन जंग की वजह से उपजे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संकट को देखते हुए विश्व बैंक ने मंदी की आशंका जताई है. विश्व बैंक के प्रेसिडेंट डेविड मालपास (David Malpass) ने कहा है कि युद्ध का असर खाद्य पदार्थों, ऊर्जा और फर्टिलाइजर की आपूर्ति पर पड़ रहा है. इसके चलते वैश्विक मंदी आ सकती है.

संकट को देखते हुए विश्व बैंक ने पहले ही 2022 के अपने ग्लोबल ग्रोथ अनुमान को 1 फीसदी घटा कर 3.2 फीसदी कर दिया है. यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक कार्यक्रम में डेविड मालपास ने कहा कि ऊर्जा की बढ़ती कीमतों की वजह से जर्मनी की इकोनॉमी सुस्त हो गई है. जर्मनी दुनिया की चौथी बड़ी इकोनॉमी है. वहीं, फर्टिलाइजर के कम उत्पादन से दूसरे देशों के हालात बिगड़ सकते हैं.

बड़े देशों की ग्रोथ पड़ सकती है सुस्त

डेविड मालपास ने कहा, “ग्लोबल जीडीपी को देखते हुए अभी यह कहना मुश्किल है कि मंदी से कैसे बच सकते हैं.” युद्ध की वजह से रूस और यूक्रेन की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आने का अनुमान है. वहीं यूरोपीय देश, चीन और अमेरिका की रफ्तार ज्यादा सुस्त हो सकती है. उन्होंने दावा किया कि फर्टिलाइजर, खाद्य पदार्थों और ऊर्जा की कीमतों में उछाल की वजह से विकासशील देशों को ज्यादा मुश्किल हो रही है.

ऊर्जा की कीमतें मंदी को दे सकती हैं बढ़ावा

विश्व बैंक प्रेसिडेंट ने कहा, “ऊर्जा की कीमतें यदि बढ़ कर दोगुनी हो जाती है तो मंदी को बढ़ावा देने के लिए ये अकेला ही पर्याप्त है. कोविड-19 महामारी, महंगाई और रियल एस्टेट से जुड़े मुद्दों के चलते चीन की ग्रोथ असाधारण रूप से सुस्त हो रही है.”

भारत में कोविड-19 से प्रभावित एमएसएमई कंपनियों की सहायता के लिए विश्व बैंक ने जून 2021 में 50 करोड़ डॉलर की कर्ज योजना को मंजूरी दी थी. इसके अलावा केंद्र सरकार भी एमएसएमई कॉम्पिटीटिवनेस प्रोग्राम के जरिये लघु, छोटे एवं मध्यम उद्योगों का प्रदर्शन सुधारने में जुटी है. इस योजना का मकसद 5.55 लाख से ज्यादा एमएसएमई के प्रदर्शन में सुधार करना है.

World Bank President On Economic Recession: रशिया-युक्रेन युद्धामुळे उद्भवलेल्या आंतरराष्ट्रीय आर्थिक संकटाच्या पार्श्वभूमीवर जागतिक बँकेने मंदीची शक्यता व्यक्त केली आहे. युद्धामुळे अन्न, ऊर्जा आणि खतांच्या पुरवठ्यावर परिणाम होतो आहे आणि त्यामुळे जागतिक मंदी येऊ शकते असं जागतिक बँकेचे अध्यक्ष डेव्हिड मालपास यांनी म्हटलं आहे 

आर्थिक संकटाच्या पार्श्वभूमीवर, जागतिक बँकेने आधीच 2022 चा जागतिक विकासाचा अंदाज 1 टक्क्यांनी कमी करून 3.2 टक्क्यांवर आणला आहे. यूएस चेंबर ऑफ कॉमर्सच्या एका कार्यक्रमात डेव्हिड मालपास बोलत होते. वाढत्या ऊर्जेच्या किमतींमुळे जर्मनीची अर्थव्यवस्था मंदावली आहे. जर्मनी ही जगातील चौथी मोठी अर्थव्यवस्था आहे. त्याच वेळी, खतांच्या कमी उत्पादनामुळे, इतर देशांमध्ये परिस्थिती बिघडू शकते.

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