शरीर से मल गुदा-नाल से होकर बहार जाता है। गुदा-नाल के चारो तरफ एक अवरोधिनी पेशी (स्फिंक्टर पेशी) होती है, जो मल को निकलने और मल के बहार निकल जाने के बाद, मल छिद्र को खोलता व बंद करता है, तथा इस पेशी और मल-नाल के बिच रक्त धमनिया होती है जो इन पेशियों में रक्त पहुँचाती है। जब इन रक्त धमनियों (ब्लड वेसल्स) में दबाव के कारण फैलाव आता है तो यह मल-नाल (जो की एक पाइप की तरह होता है) में मल मार्ग में अवरुद्ध बन जाती है तथा मल जाने के रास्ते में जरुरत के हिसाब से जगह नहीं बचती, जिस से मल को बहार निकलने में रुकावट का सामना करना पड़ता है। पाइल्स या बवासीर आमतौर पर गोल छल्लेदार गाठ की तरह होती है, जो मल छिद्र को बंद या ढक देती है। बवासीर से पीड़ित व्यक्ति उसकी गाठ को मल-नाल में या उसके बहार लटकती हुई महसूस कर सकता है।
दोस्तों फेसबुक और वाटसएप पर जितने भी ग्रूप रोग और उपचार से संबंधित चल रहे हैं, उन में आप लोगों ने अधिकतर देखा होगा कि एक सवाल जो बार बार किया जाता है वो बवासीर से संबंधित है। आज की पोस्ट इसी विषय पर है। आज जो नुस्खा मैं लिखने लगा हूँ यह खरीदना और बनाना बहुत ही आसान है। इस लिए आप से विनम्र निवेदन है कि अगर यह पोस्ट आप फेसबुक या वाटसएप पर पढ़ रहे हैं तो आगे ज़रुर शेयर करें।
सामग्री...
हल्दी 100 ग्राम
खाली कैप्सूल 180
हल्दी : बाजार से साफ सुथरी अच्छी साबुत हल्दी लेलें। घर पर मसाला पीसने वाली मिक्सर ग्राइंडर से बारीक पाउडर बना लें किसी कपड़े में छान लें। पिसी हुई हल्दी नही लेनी उस में मिलावट का खतरा रहता है।
कैप्सूल : फुल साइज़ कैप्सूल लेलें। हल्दी पाउडर कैप्सूल में भरलें। और किसी बंद डब्बे में संभाल कर रख लें।
2 कैप्सूल सुबह नाश्ते के बाद.. 2 कैप्सूल दोपहर खाना खाने के बाद
2 कैप्सूल शाम खाना खाने के बाद...पानी के साथ...
2 कैप्सूल सुबह नाश्ते के बाद
2 शाम खाना खाने के बाद
पानी के साथ..
अब अगर जरूरत हो तो 10 दिन और खा सकते हैं।
फायदे : बवासीर (साध्य या याप्य बवासीर)किसी भी प्रकार की हो पहले 10 दिन में ही कम होनी शुरू हो जाती है। 20 से 25 दिन में बहुत लाभ होता है।पेट में या आंतो में कोई जख्म हो वो भी आराम आ जाता है।
बवासीर के ऐसे रोगी जो बहुत से इलाज और कई प्रकार की दवाएं खाने के बाद भी इस रोग से छुटकारा नहीं मिल पाया है तो आप एक बार यह दवा बना कर जरूर इस्तेमाल करें। इस सस्ती सी दवा से हज़ारों मरीज फायदा उठा चुके हैं।
परहेज : खाने वाली गर्म चीजों से बचना है। लाल मिर्च से बचना खट्टी चीजों से बचना है। होटल के खाने और रैस्टोरैंट की तली भुनी चीजों से बचना है। फास्टफूड से टमाटर से दही से बहुत ज्यादा बचना है। इस दवा से संबंधित कोई भी सवाल जवाब आप काल या वाटसऐप पर कर सकते हैं।
रक्त धमनियों में दबाव के कारण धमनिया सूज जाती है जिस कारण बवासीर का रोग होता है। धमनियों में दबाव पड़ने के कई कारण है जैसे कब्ज, कब्ज में व्यक्ति आंतो में मल बहार निकालने के लिए जोर लगाता है, इसका बुरा असर धमनियों में पड़ता है, ऐसे ही कई परेशानिया है जैसे लम्बे समय से डायरिया का होना, गर्भाशय, मल त्यागते समय जोर लगाना, उलटी, खासी, भारी सामान उठाना आदि चीजों का सीधा असर गुदा-नाल की रक्त धमनियों में पड़ता है और बवासीर को बनाता है।
सूचना : किसी भी उपचार से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लीजिए.