नई दिल्ली : गुजरात के गांधीनगर के पास स्थित इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (आइआइबीएक्स) की शुरुआत के साथ अब भारत में बिकने वाले सोने का भाव देश में ही तय होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरुआत करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने के भाव की दिशा भी अब भारत तय करेगा, क्योंकि भारत सोने की खपत करने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है।आयात होने वाले सोने के गेटवे के तौर पर काम करेगा आइआइबीएक्स, सटोरिये नहीं कर पाएंगे भाव नीचे-ऊपर अभी लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन द्वारा तय कीमत के मुताबिक बुलियन बाजार में होती है सोने की बिक्री.
अभी लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) द्वारा तय सोने की कीमत के मुताबिक भारत के बुलियन बाजार में सोने की बिक्री होती है। गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी (गिफ्ट) में आइआइबीएक्स की शुरुआत होने से अब अंतरराष्ट्रीय सटोरियों के कारण भारत में बेवजह सोने के भाव ऊपर-नीचे नहीं हो पाएंगे। आइआइबीएक्स भारत में आयात होने वाले सोने के गेटवे के तौर पर काम करेगा।
सरकार ने इस एक्सचेंज को शंघाई गोल्ड एक्सचेंज इस्तांबुल के बोरसा गोल्ड एक्सचेंज के समकक्ष बनाने का लक्ष्य रखा है। इसका एक बड़ा फायदा यह भी होगा कि भारतीय ज्वैलर्स और निर्यातकों को सोने की खरीदारी के लिए लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन की तरफ तय होने वाले भाव का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
ज्वैलरी निर्यातक या बड़े घरेलू ज्वैलर्स अभी सीधे तौर पर सोने का आयात नहीं कर सकते हैं। उन्हें बैंक और कुछ मंजूरी प्राप्त एजेंसी के माध्यम से सोने का आयात करना पड़ता है। बैंक इस आयात के बदले सोना निर्यात करने वाले और आयात करने वाले यानी दोनों से शुल्क लेता है। अब इस प्रकार के शुल्क से मुक्ति मिल जाएगी। आइआइबीएक्स में पंजीकृत ज्वैलर्स सीधे तौर पर विक्रेता से सोने की खरीदारी कर सकेंगे। इससे सोने की कीमत कम होगी।
लंदन के एक्सचेंज में प्रति औंस में सोने के भाव खुलते हैं। फिर उसमें सोने का आयात शुल्क और लगभग प्रति औंस दो डालर का बैंक शुल्क लगता है। बैंक रुपये को डालर में बदलने व अन्य सर्विस चार्ज के नाम पर यह शुल्क लेता है। -पंकज पारीख, जेम्स और ज्वैलरी निर्यातक फिलहाल हम लोगों सोने की आपूर्ति के लिए पूरी तरह से बैंक पर निर्भर करते हैं। अब यह दिक्कत दूर हो जाएगी। एक्सचेंज में जुड़कर ज्वैलर्स सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय विक्रेता से सोने की खरीदारी कर सकते हैं। -राजीव जैन, जेम्स और ज्वैलरी निर्यातक
ज्वैलरी निर्यातक या बड़े घरेलू ज्वैलर्स अभी सीधे तौर पर सोने का आयात नहीं कर सकते हैं। उन्हें बैंक और कुछ मंजूरी प्राप्त एजेंसी के माध्यम से सोने का आयात करना पड़ता है। बैंक इस आयात के बदले सोना निर्यात करने वाले और आयात करने वाले यानी दोनों से शुल्क लेता है। अब इस प्रकार के शुल्क से मुक्ति मिल जाएगी। आइआइबीएक्स में पंजीकृत ज्वैलर्स सीधे तौर पर विक्रेता से सोने की खरीदारी कर सकेंगे। इससे सोने की कीमत कम होगी।