नई दिल्ली :
आम बजट 2023 (Budget 2023) में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले कई साल से इंतज़ार कर रहे मिडिल क्लास, यानी मध्यम वर्ग को इनकम टैक्स नियमों (Income Tax Rules) में बदलाव कर राहत दी है. प्रस्तावित नई कर व्यवस्था, यानी Proposed New Tax Regime में न सिर्फ करमुक्त आय (Exempted Income) की सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया है, बल्कि इनकम टैक्स की नई स्लैब (Income Tax Slabs) भी बना दी गई हैं, जिनमें बहुत-से नौकरीपेशा करदाताओं को फायदा होगा.
लेकिन आयकर नियमों में किए गए ये बदलाव अगले वित्तवर्ष, यानी 2023-24 की आय पर लागू होंगे, और इसका अर्थ यह हुआ कि फिलहाल जारी और 31 मार्च, 2023 को खत्म होने जा रहे वित्तवर्ष 2022-23 में होने वाली आय पर इनकम टैक्स कैलकुलेट करने के लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) या मौजूदा नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime - Existing) ही उपलब्ध रहेंगी. अब ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस साल की आय पर जब इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने का वक्त आएगा, तब उसके लिए मौजूदा नियम ही इस्तेमाल किए जाएंगे, सो, फिलहाल करमुक्त आय की सीमा 2.5 लाख ही रहेगी, और इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के तहत मिलने वाली छूट की सीमा भी 5 लाख रुपये ही रहेगी, चाहे आप नई कर व्यवस्था अपना लें, या पुरानी कर व्यवस्था से ही हिसाब-किताब करते रहें.
आज हम आपको एक चार्ट के ज़रिये समझा रहे हैं कि कुछ बचत या निवेश करने वाले करदाता कितनी आय होने पर कितना टैक्स अदा करेंगे, और किस कर व्यवस्था में उन्हें ज़्यादा लाभ होगा. इसी चार्ट में हालांकि हम यह भी बताएंगे कि अगले वित्तवर्ष की आय पर इस बार प्रस्तावित नई कर व्यवस्था अपना लेने पर उन्हें कितना फायदा होगा. इस चार्ट में हमने जो उदाहरण लिए हैं, वे उन नौकरीपेशा लोगों के हैं, जिनकी वार्षिक आय क्रमशः 8 लाख, 10 लाख, 12 लाख, 15 लाख, 20 लाख, 25 लाख, 30 लाख, 35 लाख, 40 लाख, 45 लाख और 50 लाख हैं. चार्ट को एक जैसा बनाने के लिए हमने माना है कि इन सभी करदाताओं ने 50,000 रुपये की मानक कटौती (Standard Deduction), इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के तहत (जीवन बीमा प्रीमियम, पीपीएफ, पीएफ, बच्चों की स्कूल फीस, होम लोन मूलधन की वापसी आदि) मिलने वाली अधिकतम छूट 1,50,000 रुपये, नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के मद में मिलने वाली (धारा 80सीसीडी 1बी) 50,000 रुपये की छूट और मकान किराया भत्ता (HRA) या होम लोन ब्याज के मद में 75,000 रुपये की छूट हासिल की है. यानी इनमें से प्रत्येक करदाता (टैक्सपेयर) ने कुल 3,25,000 रुपये की छूट का दावा किया है.
अब आपको याद होगा कि पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) में इन सभी छूट को कुल आय में से घटाकर करयोग्य आय तय की जाती है, और फिर टैक्स का कैलकुलेशन किया जाता है. मौजूदा नई कर व्यवस्था (New Tax Regime - Existing) में इनमें से किसी भी छूट को हासिल नहीं किया जा सकता, लेकिन इनकम टैक्स कर की दरें पुरानी कर व्यवस्था की तुलना में कम हैं.