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COVID-19 VACCINE : राज्यों को सीधे विनिर्माताओं से बात करने के लिए छोड़ने से अफरातफरी और अनिश्चितता उत्पन्न होगी : SC

दिल्ली Published by: Paliwalwani Updated Tue, 04 May 2021 12:19 AM
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नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने 18-44 आयु वर्ग के लिए केंद्र को कोविड-19 मूल्य नीति पर फिर से गौर करने का निर्देश दिया है। कोर्ट का कहना है कि पहली नजर में यह जीवन के अधिकार और संविधान के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकार के भी विपरीत है। पीठ ने कहा कि राज्यों को सीधे विनिर्माताओं से बात करने के लिए छोड़ने से अफरातफरी और अनिश्चितता उत्पन्न होगी। इसने कहा कि आज की तारीख में विनिर्माताओं ने दो भिन्न मूल्यों का सुझाव दिया है। इसके तहत, केंद्र के लिए कम मूल्य और राज्य सरकारों को टीके की खरीद पर अधिक मूल्य चुकाना होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य सरकारों को प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और नए निर्माताओं को आकर्षित करने के नाम पर विनिर्माताओं के साथ बातचीत के लिए बाध्य करने से टीकाकरण वाले 18 से 44 साल के आयु समूह के लोगों के लिए गंभीर परिणाम होंगे।

राज्यों और निजी अस्पतालों को 50 प्रतिशत टीके खरीदने होंगे

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट की पीठ ने संबंधित टीका नीति पर आपत्ति जताई जिसमें 18-44 आयु समूह के टीकाकरण के लिए राज्यों और निजी अस्पतालों को 50 प्रतिशत टीके खरीदने होंगे।

हो सकता है कि लोगो के पास भुगतान करने की क्षमता न हो

पीठ ने कहा कि आबादी के अन्य समूहों की तरह इस आयु वर्ग में भी वे लोग भी शामिल हैं जो बहुजन हैं या दलित और हाशिए के समूहों से संबंधित हैं। हो सकता है कि उनके पास भुगतान करने की क्षमता न हो।

पीठ ने कहा, 'आवश्यक टीके उनके लिए उपलब्ध होंगे या नहीं, यह प्रत्येक राज्य सरकार के निर्णय पर टिका होगा। राज्य सरकार का निर्णय उसकी आर्थिक स्थित तथा इस बात पर निर्भर होगा कि यह टीका मुफ्त में उपलब्ध कराया जाना चाहिए या नहीं और सब्सिडी दी जानी चाहिए या नहीं और दी जाए तो किस सीमा तक। इससे देश में असमानता पैदा होगी। नागरिकों का किया जा रहा टीकाकरण जनता की भलाई के लिए है।'

शीर्ष अदालत ने कहा कि विभिन्न वर्गों के नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता है, जो समान हालात का सामना कर रहे हैं। केंद्र सरकार 45 साल और उससे अधिक उम्र की आबादी के लिए मुफ्त टीके प्रदान करने का भार वहन करेगी, राज्य सरकारें 18 से 44 आयु वर्ग की जिम्मेदारी का निर्वहन करेंगी, ऐसी वाणिज्यिक शर्तों पर वे बातचीत कर सकते हैं।

वेबसाइट पर अपलोड किए 64 पन्नों के आदेश

पीठ ने रविवार रात अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए गए 64 पन्नों के अपने आदेश में कहा, 'मौजूदा नीति की संवैधानिकता पर हम कोई निर्णायक फैसला नहीं दे रहे हैं लेकिन जिस तरह से वर्तमान नीति तैयार की गई है उससे संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त जनस्वास्थ्य के अधिकार के लिए हानिकारक परिणाम होंगे।'

पीठ ने कहा, 'इसलिए हमारा मानना है कि संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन की सुरक्षा और निजी स्वतंत्रता) के पालन के साथ केंद्र सरकार को अपनी मौजूदा टीका नीति पर फिर से गौर करना चाहिए।'

वर्तमान में लोगों को ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ टीके की खुराक दी जा रही हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान आवश्यक सेवा और आपूर्ति बनाए रखने के लिए स्वत: संज्ञान मामले में न्यायालय ने यह निर्देश दिया।

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