तेलंगाना से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक मां ने खौफनाक कदम उठा लिया। घरेलू सहायिका का काम करने वाली महिला अपने 14 वर्षीय बेटे का काफी समय से इलाज करा रही थी। महिला का बेटा नेत्रहीन होने के साथ-साथ मानसिक रूप से बीमार भी था। ऐसे में कई तरह की परेशानियों से तंग आकर महिला ने अपने बेटे को कथित तौर पर नहर में धकेल दिया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामला तेलंगाना के नलगोंडा जिले का है। यहां रहने वाली 36 वर्षीय महिला एन शैलजा विधवा है और उसके पति ने आठ साल पहले ही आत्महत्या कर ली थी। एन शैलजा के तीन बेटे हैं और पूरे परिवार की देखभाल के लिए वह घरेलू सहायिका का काम करती हैं। एन शैलजा का सबसे बड़ा बेटा 12वीं है तो वहीं छोटा बेटा चौथी में पढ़ता है।
वेमुलापल्ली उप-निरीक्षक डी राजू ने बताया कि, एन शैलजा का दूसरा बेटा गोपी चंद जन्म से ही नेत्रहीन था। पुलिस के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान गोपीचंद को मानसिक समस्याएं बढ़ गईं थी। उप-निरीक्षक डी राजू ने बताया कि शैलजा अपने बेटे की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान थी। क्योंकि वह इस दौरान रात में सोता नहीं था और रात-रात भर चिल्लाया करता था। इसके अलावा गोपीचंद कभी-कभी रात में घर से बाहर भी निकल जाया करता था।
पुलिस के अनुसार, 36 वर्षीय महिला एन शैलजा शनिवार की दोपहर में बेटे गोपी के साथ एक बस में सवार हुई। इसके बाद नागार्जुन सागर परियोजना (एनएसपी) की नहर पर उतर गई। महिला कुछ देर तक बेटे गोपी के साथ नहर पर चलती रही और फिर बेटे गोपी को उसी में धकेल दिया।
उप-निरीक्षक डी राजू ने बताया कि जब उसने गोपी को धकेला तो खेत में काम कर रहे एक किसान ने उसे देख लिया। किसान ने नहर से थोड़ी दूर पर खेल रहे दो लड़कों से बच्चे को बचाने के लिए आवाज दी। जब तक माजरा समझ कर लड़के आगे बढ़ते कि तब तक गोपी पानी के बहाव में काफी दूर चला गया और फिर लापता हो गया।
इस मामले में स्थानीय पुलिस ने महिला एन शैलजा के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर उसे हिरासत में ले लिया है। पुलिस द्वारा नागार्जुन सागर परियोजना (एनएसपी) की नहर में तलाशी अभियान जारी है, लेकिन 14 वर्षीय नेत्रहीन लड़के का अभी पता नहीं चल पाया है।