देवाधि देव महादेव की उपासना का पर्व महाशिवरात्रि एक मार्च को मनाई जाएगी। ग्रह-नक्षत्रों के शुभ संयोग इस महाशिवरात्रि को खास बना रहे हैं। सभी शिवालयों में भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए आस्था का जनसैलाब उमड़ेगा। इस वर्ष शिव योग और मंगलवार होने से यह व्रतियों के लिए अत्यन्त पुण्यदायक और फलप्रद है।
एक मार्च दिन मंगलवार को सूर्योदय सुबह 6:15 बजे और चतुर्दशी तिथि का मान रात्रि 12:17 बजे तक है। धनिष्ठा नक्षत्र भी संपूर्ण दिन रात्रिशेष 3:18 बजे तक, परिघ योग दिन में 10:38 बजे तक और उसके बाद संपूर्ण दिन और संपूर्ण रात्रि पर्यंत शिव योग है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना सहस्त्रों जन्म के पापों का तिरोहण करके अनन्त पुण्य फल देने वाली है। यह शिवरात्रि त्रिस्पृशा होने से और अधिक उत्तम होती है। उसमें भी रविवार या मंगलवार को ( शिवयोग) और भी अच्छा है।
चतुर्दशी तिथि 1 मार्च 2022 को है। इस दिन मार्च सुबह 03:16 से शुरू होकर देर रात्रि 1 बजे तक पूजा मुहूर्त रहेगा। यानी श्रद्धालु पूरे दिन भगवान की शिव की पूजा कर सकेंगे। शात्रों में चारो पहर भगवान शिव की पूजा-उपासना का महत्व बताया गया है।
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। धर्मशास्त्र के अनुसार जिस दिन अर्धरात्रि में चतुदर्शी हो, उसी दिन शिवरात्रि का व्रत करना चाहिए। जो व्यक्ति शिवरात्रि को निर्जला व्रत रहकर जागरण और रात्रि के चारों प्रहरों में चार बार पूजा करता है, वह शिव की कृपा को प्राप्त करता है। शिवरात्रि महात्म्य में लिखा है कि शिवरात्रि से बढ़कर कोई दूसरा व्रत नहीं है।
शिवरात्रि के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प करें। व्रत रखकर किसी शिव मंदिर या अपने घर में नर्मदेश्वर की मूर्ति या पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर समस्त पूजन सामग्री एकत्र कर आसन पर विराजमान होकर ‘मम इह जन्मनि जन्मान्तरेवार्जित सकल पाप क्षयार्थं आयु-आरोग्य-ऐश्वर्य-पुत्र-पौत्रादि सकल कामना सिद्धिपूर्वक अन्ते शिवसायुज्य प्राप्तये शिवरात्रिव्रत साड्गता सिध्यर्थं साम्बसदाशिव पूजनम करिष्ये। मंत्र जप करते हुए स्थापित शिवमूर्ति की षोडशोपचार पूजा करें। आक, कनेर, विल्वपत्र और धतूरा, कटेली आदि अर्पित करें। रुद्रीपाठ, शिवपुराण, शिवमहिम्नस्तोत्र, शिव संबंधित अन्य धार्मिक कथा सुनें। रुद्रभिषेक करा सकें, तो अत्यंत उत्तम है। रात्रि जागरण कर दूसरे दिन प्रात:काल शिवपूजा के पश्चात जौ, तिल और खीर से 108 आहुतियों ‘त्र्यम्बकं यजामहे या ‘ऊं नम: शिवाय आदि मंत्रों से यज्ञशाला में दें। ब्राह्मणों या शिवभक्तों को भोजन कराएं और दक्षिणा देकर विदा करें फिर स्वयं भोजन कर व्रत का पारण करें।
मेष राशि : इस राशि के लोग शिव की पूजा के बाद ओम नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जप करें। साथ ही शहद, गुड़, गन्ने का रस, लाल पुष्प चढ़ाएं।
वृष राशि : कच्चे दूध में मिश्री मिलाकर भोले बाबा का पूजन करने से संतान का विकास होगा एवं मां लक्ष्मी की कृपा रहेगी।
मिथुन राशि : महाशिवरात्रि के दिन भोले बाबा का घी, शक्कर मिश्रित दूध से अभिषेक करने से लाभ मिलेगा और धन-धान्य में वृद्धि होगी। साथ ही हरे फलों का रस, मूंग, बेलपत्र आदि चढ़ाएं।
कर्क राशि : शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए ओम हौं जूं स: मंत्र का जप करें और शिवलिंग पर कच्चा दूध, मक्खन, मूंग, बेलपत्र आदि चढ़ाएं।
सिंह राशि : गुलाब जल मिश्रित दूध से शिवजी का अभिषेक करने पर सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा प्राप्त होगी एंव धन में वृद्धि होगी। इसके साथ ही ज्योतिर्लिंग पर शहद, गुड़, शुद्ध घी, लाल पुष्प आदि चढ़ाएं।
कन्या राशि: ओम नमो भगवते रुद्राय मंत्र का जप करें। साथ ही शिवलिंग में हरे फलों का रस, बिल्वपत्र, मूंग, हरे व नीले पुष्प चढ़ाएं।
तुला राशि : इस राशि वाले पंचामृत से शिव का अभिषेक करेंगे तो आर्थिक स्थिति में मजबूती आएगी एवं संतान सुशिक्षित व आज्ञाकारी होगी। साथ ही दूध, दही, घी, मक्खन, मिश्री चढ़ाएं।
वृश्चिक राशि: इस राशि के लोग दूध में बेल पत्र मिलाकर शिव का अभिषेक करने से दुख व कष्ट दूर होकर घर में सुखद वातावरण बना रहेगा। साथ ही शहद, शुद्ध घी, गुड़, बेलपत्र, लाल पुष्प शिवलिंग पर अर्पित करें।
धनु राशि: इस राशि वाले मंत्र जाप के अलावा शिवलिंग पर शुद्ध घी, शहद, मिश्री, बादाम, पीले पुष्प, पीले फल चढ़ाएं।
मकर राशि: इस राशि वाले ओम नम: शिवाय का जाप करने के अलावा भगवान शिव का सरसों का तेल, तिल का तेल, कच्चा दूध, जामुन, नीले पुष्प से अभिषेक करें।
कुंभ राशि: राशि के स्वामी भी शनि देव हैं इसलिए इस राशि के व्यक्ति भी मकर राशि की ओम नम: शिवाय का जप करें। कच्चा दूध, सरसों का तेल, तिल का तेल, नीले पुष्प चढ़ाएं।
मीन राशि: इस राशि वाले गन्ने का रस, शहद, बादाम, बेलपत्र, पीले पुष्प, पीले फल चढ़ाने से मनोमाकना पूरी होगी। वाहन सुख के लिए शिव पर चमेली का फूल चढ़ाएं।