एक व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति के पैर के अंगूठे पर हथौड़ी से मारा वह जोर से चिल्लाया क्योंकि उसको दर्द हुआ. एक डेढ़ होशियार व्यक्ति जो इस घटना को दूर से देख रहा था वह हंसा और कहता है कुछ नही हुआ कुछ नही हुआ एक हथौड़ी मारने से क्या दर्द होता है.
क्या और वह भी सिर्फ पैर के अंगूठे पर, फिर आधे घंटे बाद उस व्यक्ति ने जिसने हथौड़ी मारी थी उसको वापिस उसी व्यक्ति के पैर के उसी अंगूठे पर मार दी उसकी हालत खराब हो गई दर्द बेहिसाब था.
लेकिन वह दूर से दृश्य देखने वाला अभी भी बोल रहा है कुछ नही हुआ कुछ नही हुआ इतने से क्या फर्क पड़ता है, जबकि स्थिति यह हो गई थी जिसके मार पड़ी अब वह चल भी नहीं पा रहा है.
कुछ ओवर स्मार्ट लोग जो थोड़ा मंद बुद्धि टाइप के कह सकते हैं जिनको, वे फेसबुक पर पोस्ट शेयर करते हैं और कहते हैं कि अमेरिका के टैरिफ से भारत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है जबकि जो कंपनी अपने उत्पाद अमेरिका में विक्रय करती है. उसको उस उत्पाद को बेचने पर अधिक मूल्य वसूलना होगा 50 प्रतिशत टैरिफ का मतलब यह होगा की कोई 2 हजार की वस्तु है उसका अब 3 हजार मूल्य हो गया है.
जबकी अमेरिकी कंपनी उसी उत्पाद को 2 हजार में ही बेच रही है तब क्या अमेरिका के ग्राहक ने धतूरा तो नही लिया है जो 2 हजार की वस्तु के 3 हजार देकर खरीदेगा. अमेरिका अपने आप में एक बड़ा बाजार है उस कंपनी को क्या तकलीफ होती हैं वहा व्यापार करने में उसकी जानकारी और उसके अनुभव उसी को ध्यान में रहेंगे.
यह कहना बिल्कुल उचित नहीं होगा कि टैरिफ का असर नहीं पड़ेगा मतलब समझो की जिसके अंगूठे पर हथौड़ी मारी थी उसको तो दर्द होगा ही होगा तुम कितनी ही वजह गिनवा दो उसका कोई आधार नही है.
हा भारत सरकार को इन विषयों पर उचित निर्णय लेने चाहिए और ले रहे हैं इसमें उन कंपनियों को भी विचार करना होगा कि वे नई दिशा में बढ़ने का प्रयास करे जहा सहज रूप से व्यापार किया जा सके. समाधान यह भी उभर कर आता है की धीरे धीरे नए बाजारों की तरफ रुख करना होगा यह संभावना देखने के लिए नजरिए को विस्तार देने की आवश्यकता है.
आखिर कब तक हम किसी एक बाजार के भरोसे पर निर्भर रहेंगे, यह उसी बात का अहसास दिलाता है की भारत की बढ़ती प्रभुता अमेरिका को रास नहीं आ रही है और वह अब छिछोरी हरकत करने लगा है. एक बड़े कद का वृक्ष कभी अपने पास में नई कोपल को नही पनपने देता है यह सिद्धांत सटीक है.