गिरीश पालीवाल (विद्रोही)
आज़ शादी के 48. वर्ष पूर्ण हुए। 1976 में विवाह और उसी सत्र में शासकीय सेवा। आज़ बसन्त पंचमी है आज़ ही के दिन दो वर्ष पूर्व प्रभु शिवजी की कृपा हुई और ओंकारेश्वर से पधारे और शिव परिवार लालबाग बान्दरिया मगरे पर मन्दिर की स्थापना हुई। बान्दरेश्वर महादेव के रूप में बिराजे।
शिव परिवार की कृपा का प्रसाद है जो कुछ भी है। तीन बेटे तीन पोते और नवरात्रि में माता की कृपा एक पोत्री जो तीन वर्ष की है। यह प्रभु कृपा के साथ पिताश्री स्वतन्त्रता सेनानी स्वर्गीय पंडित श्री रघुनाथ जी पालीवाल माता श्री स्वर्गीय उमा देवी जी पालीवाल जिनके जन्मों जन्मों का ऋणी हूं जिन्होंने पुरुषार्थी जीवन और संघर्ष करने की क्षमता और प्रेरणा प्रदान की।
अच्छा बुरा कड़वा मीठा सब देखा। कुछ आवश्यक दायित्वों की पूर्णता के साथ जीवन दर्शन को बदलने का मन है प्रभु आदेश हो चुका है। आज़ माता सरस्वती की कृपा का दिन है उसकी कृपा मेरे लिए पहली बून्द है जो अमृतमयी है। जिसने क्या नहीं दिया।
वैवाहिक वर्षगांठ के पुनीत दिन उसके ऋण का वज़न रोम रोम है। एक महिला प्रतिकुल अनूकुल परिस्थिति में अपने सामर्थ्य को कितना समर्थवान बना सकती है उसका पत्नी श्रीमती कमला पालीवाल मेरे अंतःकरण के लिए अनुपम उदाहरण है। मेरा घर संसार उसका है।
शीघ्र मेरे अपनों को याद करुंगा। आप सभी ने एक सामान्य कद के आदमी को असामान्य बनाने का जो मन बनाया उसे बनाए रखियेगा उल्लासपूर्ण यात्रा पूर्ण हो जाएगी। भूल चुक क्षमा कीजिएगा। आप सबको आज़ के दिन मंगलकामनाएं बधाई और मन की भावनाओं को प्रभु का आशीर्वाद मिलता रहे यही कामना। प्रणाम। यथायोग्य।