आमेट. युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण की सुशिष्या साध्वी श्री विशद प्रज्ञा ठाणा 4 के सानिध्य में 105 वां महाप्रज्ञ जन्मदिवस का आयोजन तुलसी विहार में आयोजित किया गया। साध्वी श्री ने नमस्कार महामंत्र से आगाज किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ तेयुप सदस्य विशाल पितलिया, पवन कच्छारा,अशोक पितलिया ने "जिसके सांसों में रहता है शास्वत शांति का स्पंदन" उसे महाप्रज्ञ को वंदन" द्वारा मंगलाचरण से प्रारंभ हुआ। साध्वी विशद प्रज्ञा ने अपने मंगल उद्बोधन में बूंद से सागर को भरने वाले अतिशय व्यक्तित्व के धनी अज्ञ से प्राज्ञ बनाने वाले अतींद्रिय ज्ञान के धनी थे।
आचार्य महाप्रज्ञ। आपने कहा खुले आकाश में जन्म होने वाले शिशु का जीवन निर्मल निश्छन व मां के दूध की तरह स्वच्छ था। उन्होंने कभी नहीं कहा कि भाग्य हाथ की रेखाओं में है। उन्होंने कहा भाग्य पुरुषार्थ में है। साध्वी प्रशम यशा, साध्वी मनन यशा व साध्वी मंदार प्रभा ने आचार्य महाप्रज्ञ के जीवनी की प्रस्तुति गीतिका द्वारा प्रस्तुत की।
कन्या मंडल की बहनों ने आचार्य महाप्रज्ञ के शिशु अवस्था से वृद्धाअवस्था का सुंदर परिसंवाद प्रस्तुत किया। साध्वी मंदार प्रभा ने कहा। जिसने कभी स्कूल का दरवाजा नहीं देखा। लेकिन गुरु तुलसी की विद्यालय में पहुंचकर अपनी मेधा को उजागर कर दिया।
कार्यक्रम अपने भाव की अभिव्यक्ति सभा अध्यक्ष यशवंत कुमार चोरडीया,ज्ञानेश्वर मेहता, दलीचंद कच्छारा, उपासक शांतिलाल छाजेड़, महेंद्र बोहरा, कौशल मेहता, गजरा बाई बापना, शकुंतला देवी भंडारी, महिला मंडल सामूहिक आदि ने संभाषण व सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की।
इस अवसर पर वयोवृद्ध श्रावक फतेह लाल मेहता, सभा निवर्तमान अध्यक्ष देवेंद्र मेहता, निर्मल गेलड़ा, महिला मंडल अध्यक्ष संगीता पामेचा, मंत्री हेमा भंडारी, कन्या मंडल संयोजीका अंजलि पितलिया, सहसंयोजिक अक्षी डूंगरवाल आदि व कार्यक्रम में श्रावक समाज की अच्छी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री मनोहर लाल पितलिया ने किया।
M. Ajnabee, Kishan paliwal