आमेट (प्रेम सिंग सिसौदिया...) ग्राम. पंचायत घोसुंडी के किशनपुरीया में चल रही मनरेगा में जेएन महेश मीणा द्वारा नरेगा का निरीक्षण किया गया. जहां पर नरेगा मजदूर के पास एक भी जॉब कार्ड उपलब्ध नहीं हो सका. जिसके बारे में मेट ने बताया कि बरसात होने के कारण जॉब कार्ड नहीं लाए गए. जब जॉब कार्ड भी साइट पर नहीं मिले तो कहीं पर मेल की जगह फीमेल और फीमेल की जगह मेल नाम उपस्थित हाजरी में दर्ज हैं. जिसके बारे में निरीक्षणकर्ता को भी इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी. जेएन ने बताया कि बिना जॉब कार्ड देखे मैं कैसे बता सकता हूं कि मेल है या फीमेल यह पंचायत द्वारा ही पता चल सकता है कि कंप्यूटर मिस्टेक हुई है या किसी तकनीकी कारण नाम चेंज हुए हैं. मनरेगा एक प्रकार से गड़बढ़ झाले से कम नहीं हैं. जॉब कार्ड मौके पर जॉब कार्ड नहीं मिलेगा तो जांच किस बात की और निरीक्षण करने से किया हासिल होगा. क्यों की पूरे कुंए में जब भांग ही घुली हो तो मनरेगा में काम करने वालों को सही दाम मिल पाता है या नहीं कोई कुछ स्पष्ट बता नहीं पा रहा हैं. इसका मतलब साफ है कि जॉब कार्ड में मौजूदगी पूरी दर्शाई जा रही है, जबकि हकीकत में साइट पर और कुछ ही चल रहा हैं. मनेरगा पर पुरी तरहा अफसरशाही और नेतागिरी छाई हुई है, इसलिए गरीब मजदूरों को उनका वाजिब दाम और काम नहीं मिल पा रहा हैं.