उत्तर प्रदेश

आज अयोध्या राममंदिर में विराजेंगे रामलला : शुभ मुहूर्त में होगी प्राण प्रतिष्ठा

paliwalwani
आज अयोध्या राममंदिर में विराजेंगे रामलला : शुभ मुहूर्त में होगी प्राण प्रतिष्ठा
आज अयोध्या राममंदिर में विराजेंगे रामलला : शुभ मुहूर्त में होगी प्राण प्रतिष्ठा

अयोध्या : 

कई सदियों से इंतजार किया जा रहा था, वह घड़ी अब आ चुकी है। आज अयोध्या में रामलला नए बने मंदिर में विराजित हो जाएंगे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे। वह आज सुबह लगभग 10:30 पर अयोध्या पहुंचेंगे। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम मंदिर के गर्भगृह में दोपहर 12:05 पर शुरू होगा। गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान दोपहर 1 बजे तक चलेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला की आंखों से पट्टी हटायेंगे। इसके बाद वह रामलला की आंखों में सोने की श्लाका से काजल लगाएंगे। काजल लगाने के बाद पीएम मोदी रामलला को शीशा दिखाएंगे और इसी के साथ प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण हो जाएगी। इसके बाद कार्यक्रम में मौजूद लोग रामलला के दर्शन कर सकेंगे। वहीं आम लोग 23 जनवरी से अपने रामलला के दर्शन कर सकेंगे।

राम मंदिर को महल की भांति सजाया गया 

प्राण प्रतिष्ठा से पहले नवनिर्मित राम मंदिर को महल की भांति सजाया गया है। पूरे प्रांगण को फूल-पत्तियों से सजाया गया है। इसके साथ ही लाइटों के उजाले से मंदिर बेहद ही भव्य और मनमोहक दिख रहा है। बता दें कि मंदिर के गर्भगृह में केवल रामलला की ही मूर्ति को स्थापित किया जाएगा। वहीं भगवान राम के साथ लक्ष्मण, माता जानकी, भरत, शत्रुघ्न और हनुमानजी के साथ का मंदिर पर्थम तल पर बनाया जाएगा।

रामलला की मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम, मूर्ति की ऊंचाई 4.24 फीट और चौड़ाई तीन फीट 

गर्भगृह में रामलला की मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है। मूर्ति की ऊंचाई 4.24 फीट और चौड़ाई तीन फीट है। मूर्ति को एक ही पत्थर पर बनाया गया है। इसमें कोई और पत्थर को नहीं जोड़ा गया है। रामलला की इस मूर्ति के साथ पत्थर से ही एक फ्रेमनुमा आकार बनाया गया है। इस पर भगवान विष्णु के दस अवतार बनाए गए हैं। जिसमें मत्स्य, कुर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि अवतार बनाए गए हैं। इसके साथ ही प्रतिमा के एक तरफ गरुण हैं तो दूसरी तरफ हनुमान जी नजर आ रहे हैं।

● 

अधिवास प्रक्रिया एवं आचार्य:

सामान्यत: प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं। समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे। श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे, तथा काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे।

● 

विशिष्ट अतिथिगण:

प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में होगी।

● 

विविध प्रतिष्ठान:

भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी, जो श्री राम मंदिर परिसर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दर्शन हेतु पधारेंगे।

● 

ऐतिहासिक आदिवासी प्रतिभाग:

भारत के इतिहास में प्रथम बार पहाड़ों, वनों, तटीय क्षेत्रों, द्वीपों आदि के वासियों द्वारा एक स्थान पर ऐसे किसी समारोह में प्रतिभाग किया जा रहा है। यह अपने आप में अद्वितीय होगा। 7. समाहित परंपराएं: शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि कई सम्मानित परंपराएँ इसमें भाग लेंगी।

● 

दर्शन और उत्सव:

गर्भ-गृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूर्ण होने के बाद, सभी साक्षी महानुभावों को दर्शन कराया जाएगा। श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए हर जगह उत्साह का भाव है। इसे अयोध्या समेत पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाने का संकल्प किया गया है। समारोह के पूर्व विभिन्न राज्यों के लोग लगातार जल, मिट्टी, सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध इत्यादि के साथ आ रहे हैं। उनमें से सबसे उल्लेखनीय थे माँ जानकी के मायके द्वारा भेजे गए भार (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार) जो जनकपुर (नेपाल) और सीतामढ़ी (बिहार) के ननिहाल से अयोध्या लाए गए। रायपुर, दंडकारण्य क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषणों आदि के उपहार भेजे गए हैं।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का कहना है, "भगवान श्री रामलला सरकार के गर्भगृह में स्वर्ण द्वारों की स्थापना के साथ, भूतल पर सभी स्वर्ण द्वारों की स्थापना का काम पूरा हो गया है।" pic.twitter.com/YXURx0qqbs

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News
Trending News