अन्य ख़बरे
विपक्षी एकता को लेकर जो माहौल बनाया था, उस प्रयास को पंचर कर दिया : आनंद मोहन
paliwalwaniसुपौल :
पूर्व सांसद आनंद मोहन रविवार को एक निजी कार्यक्रम में सुपौल पहुंचे. इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत की. पांच राज्यों के परिणाम पर उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर बीजेपी को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिला है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता है.
मैं मानता हूं कि इसमें विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी उसकी आत्मुक्ता वजह बनी. जो माहौल नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने विपक्षी एकता को लेकर बनाया था, उस प्रयास को पंचर कर दिया गया. जहां तक 'इंडिया' गठबंधन (I.N.D.I.A Alliance) को लेकर वे गये थे, अगर इसको एक स्वरूप प्रदान करते हुए चुनाव में जाया जाता और जो विपक्ष की बड़ी पार्टियां और उसके छत्रप थे उन सबों को चुनाव अभियान में शामिल किया जाता तो रिजल्ट कुछ और होता.
कांग्रेस नाकामयाब रही, कांग्रेस आलाकमान को समीक्षा करनी चाहिए
आनंद मोहन ने कहा कि मीडिया ने जो आकलन दिया. समीक्षा कर कांग्रेस के फेवर में रिपोर्ट निकाली, वो कांग्रेस की आत्मुक्ता का और मुगालता का कारण बनी. यह परिणाम को प्रभावित किया. अगर कांग्रेस इसी परिणाम के लिए विपक्षी एकता की मुहिम को रोकी हुई थी और इसी परिणाम को लेकर तीन महीने से व्यस्त थी. इस व्यस्तता की भी कांग्रेस आलाकमान को समीक्षा करनी चाहिए. अगर इन तीन राज्यों में लालू यादव, नीतीश कुमार, देवगौड़ा, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और फारूख अब्दुल्लाह को ऐसे तमाम विभिन्न पार्टियों के लोगों को अभियान में सम्मलित किया जाता तो परिणाम कुछ और होता. इसमें कांग्रेस नाकामयाब रही.
मजबूत केंद्र के खिलाफ मजबूत विपक्ष होना चाहिए
पूर्व सांसद ने कहा कि मजबूत केंद्र के खिलाफ मजबूत विपक्ष होना चाहिए. आज जो स्थिति है, यह लोकतंत्र के हित के लिए नहीं है. केंद्र चाहता है कि उसके सामने कोई विपक्ष नहीं हो. उसके सामने कोई आवाज ही नहीं उठे. वहीं, सांसदों के निलंबन पर उन्होंने कहा कि यह एक गलत परंपरा की नींव रखी जा रही है. निलंबन के बदले आत्ममंथन होना चाहिए. हमें सुनने का साहस होना चाहिए. लेकिन निलंबित करना, बर्खास्त करना यह लोकतंत्र के लिए कहीं से भी शुभ नहीं है और जिस तरीके से धनखड़ साहब की मीमिक्री को उछाला जा रहा है और एक जाति विशेष को कह रहा है कि उसका अपमान है.
निंदनीय है तो वह सराहनीय कहां से है? : देश देख रहा है
पूर्व सांसद ने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि उसी सदन में जिस तरीके से प्रधानमंत्री उस समय के नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के लीडर का मिमिक्री कर रहे थे, वो कहां से सराहनीय है? यह अगर निंदनीय है तो वह सराहनीय कहां से है? इन बातों पर विचार होना चाहिए. देश देख रहा है.