प्रतापगढ़। अंकुर प्रकाशन’ द्वारा नवीनतम प्रकाशित ’शौकत हुसैन जी मंसूरी’ का बहुप्रतीक्षित काव्य संग्रह ’“कर जाऊँगा पार मैं दरिया आग का’ प्रकाशित हो चुका है। आत्मविश्वास बहुत ही क्षीण और विरोधाभास से भरा हो...तब ऐसी ’अग्नि’ ही सब कुछ बदल देने की उत्कृष्ट इच्छाशक्ति हृदय में ज्वाला बनकर धधक ही उठती है और हो जाता है...पार दरिया आग का...! र्ह्दय में यदि कोई तीक्ष्ण हुक उठती है। एक अनामदृसी व्यग्रता संपूर्ण व्यक्तित्व पर छाई रहती है और कुछ कर गुज़रने की उत्कट भावना हमारी आत्मा को झिंझोड़ती रहती है...ऐसी परिस्थिति में, कितना ही दीर्घ समय का अंतराल हमारी रचनाशीलता में पसर गया हो,.. तब भी, अवसर मिलते ही, र्ह्दय में एकत्रित समस्त भावनाएं, विचार और संवेदनाएं अपनी संपूर्णता से अभिव्यक्त होती ही हैं...सिर्फ़ ज्वलन्त अग्नि पर जमी हुई राख़ को हटाने मात्र का अवसर चाहिए होता है; तदुपरान्त प्रसव पीड़ा के पश्चात जो अभिव्यक्ति का जन्म होता है...वह सृजनात्मकता एवं गहन अनुभूति का सुखद चर्मोत्कर्ष होता है...वह अवर्णनीय होता है। शौकत हुसैन मंसुरी के नवीन काव्य संग्रह ऐसी ही प्रसव पीड़ा के पश्चात जन्मा हुआ अभिव्यक्ति का संग्रह है...जिसे पढ़ने के बाद बहुत सकुन मिलता है। बहुत कम समय में बहुप्रतीक्षित काव्य संग्रह ’“कर जाऊँगा पार मैं दरिया आग का’ एक बार जरूर पढ़े। अंकुर प्रकाशन के श्री राजेन्द्र कुमार पानेरी ने किताब पर काफी मेहनत कर बहुत ही खुब सूरत तरीके से काव्य संग्रह को प्रकाशित करने में काफी मेहनत कर काव्य प्रेमी को एक नवीन तोहफा भेंट कर रहे है। किताब की किमत 150 रूपए है। 120 पृष्ठ पेज से सज्जी हुई है, आज की मँहगाई को देखते हुए जो काव्यप्रेमी के लिए बहुत कम है। पालीवाल वाणी समूह की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं...।
ISBN:978-81-86064-94-8 Rs:150/- पृष्ठ:112
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