हिंदू धर्म में भगवान की आरती करने का विशेष महत्व है. कोई भी पूजा बिना आरती के संपन्न ही नहीं मानी जाती है. लगभग हर घर में सुबह-शाम भगवान की आरती की जाती है. ऐसे में लोग आरती पढ़ने के बाद उसके ऊपर से हाथ फेरते हैं और भगवान की ओर उसे दिखाते हैं फिर अपने ऊपर से हाथ फेर लेते हैं. आइए जानते हैं कि आरती से जुड़ी कुछ बारीक बातों के बारे में.
भगवान की आरती करते वक्त दीपक को घुमाने के तरीके और संख्या पर विशेष ध्यान रखा जाता है. आमतौर पर लोगों को यह नहीं पता होता है कि आरती की शुरुआत हमेशा भगवान के चरणों से होनी चाहिए. 4 बार आरती को सीधी दिशा में घुमाना चाहिए और उसके बाद 2 बार ईश्वर की नाभि की आरती उतारें. इसके बाद भगवान के मुख की 7 बार आरती उतारनी चाहिए.
भगवान की आरती होने के बाद भक्तगण दोनों हाथों से आरती लेते हैं. इस दौरान 2 भाव होते हैं, पहला जिस दीपक की लौ ने हमें अपने आराध्य के नख-शिख के इतने सुंदर दर्शन कराएं हैं, उसको हम सिर पर धारण करते हैं. दूसरा, जिस दीपक की बाती ने भगवान के अरिष्ट हरे हैं, जलाए हैं, उसे हम अपने मस्तक पर धारण करते हैं. आरती लेने का सही तरीखा भी यही होता है कि पहले सिर पर घुमाएं और उसके बाद उस आरती की लौ को अपने माथे की ओर धारण करें.
धर्म के जानकार कहते हैं कि आरती करते समय कोशिश की जानी चाहिए कि आप जो भी बोल रहे हैं, उसका उच्चारण सही हो. साथ ही आरती के वक्त किसी और विषय में न सोचें. खासतौर पर मोबाइल फोन की ओर से अपना ध्यान हटा लें और 5 मिनट ही सही मगर एकाग्रता के साथ भगवान की आरती करें.