सनातन धर्म और ज्योतिष में हर समस्या के समाधान के लिए संबंधित नवग्रहों, देवी—देवताओं का पूजन का विधान बताया गया है। ज्योतिषिय ग्रंथों में भी दिक्कतें दूर करने के लिए जिन उपायों का उल्लेख किया गया है उनमें पूजा—पाठ सबसे मुख्य है। ग्रहों से संबंधित पूजा और दान आदि करने से शुभ फल प्राप्त होता है।
सनातन धर्म और ज्योतिष में हर समस्या के समाधान के लिए संबंधित नवग्रहों, देवी-देवताओं का पूजन का विधान बताया गया है। ज्योतिषिय ग्रंथों में भी दिक्कतें दूर करने के लिए जिन उपायों का उल्लेख किया गया है उनमें पूजा—पाठ सबसे मुख्य है। ग्रहों से संबंधित पूजा और दान आदि करने से शुभ फल प्राप्त होता है।
आजकल अधिकांश लोग प्राइवेट नौकरी करते हैं। कार्यस्थल पर कई समस्याएं आती रहती हैं। बॉस कई बार अकारण भी नाराज हो जाते हैं। सूर्यदेव की अप्रसन्नता की वजह से ऐसा होता है। अच्छी नौकरी, सेलरी या प्रमोशन के लिए कुंडली में सूर्य का असरकारक होना जरूरी है। यदि सूर्य कमजोर है तो पूजापाठ और उपायों से इसे मजबूत किया जा सकता है।
सूर्य ग्रह से संबंधित दान आदि से भी लाभ जरूर मिलता है। सूर्य ग्रह की पूजा स्वयं करें या योग्य गुरु से करवाएं। संभव हो तो सूर्य मंत्र ओम घृणि सूर्याय नम: की कम से कम एक माला का रोज जप करें। रविवार को आदित्य हृदय स्त्रोत का तीन बार पाठ करें।
सूर्य नवग्रहों के राजा हैं, इसलिए कुंडली में सूर्य ही सबसे निर्णायक ग्रह हैं। यही कारण है कि सूर्यदेव हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी कृपा से ही जीवन में यश, मान-सम्मान-पैसा प्राप्त होता है।
नौकरी में यदि अधीनस्थ आपकी अनसुनी करते हैं या उच्चाधिकारी आपसे अकारण नाराज रहते हैं तो सूर्यदेव का आशीर्वाद पाना जरूरी है। उनकी प्रसन्नता का एक बेहद सरल उपाय है जोकि बहुत कारगर भी है। रोज सुबह जल्दी सोकर उठें और स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्पित करें। ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करके सूर्य को जल अर्पित करने पर और भी अच्छा फल प्राप्त होता है।