रतलाम। वित्त मंत्री सीतारमन द्वारा आयकर से संबंधित नियमों में कई बार हेरफेर किया गया है। 7 जून के बाद वित्त विभाग ने इंफोसीस कंपनी को आयकर वसूली का ठेका और इससे संबंधित पोर्टल बनाने का निर्देश देने के कारण आयकरदाता व चार्टेड अकाउंटेंट इस बात को लेकर परेशान है कि इन्कम टैक्स चुकाने की तारीकों में बार-बार परिवर्तन किया जा रहा है।
ये भी पढ़े : बंद होगा व्हाट्सप्प! 1 नवम्बर से इन स्मार्टफोन में नहीं चलेगा WhatsApp, कही आपका फ़ोन तो शामिल तो नहीं देखे लिस्ट
वित्त मंत्री ने 7 जून को नया पोर्टल चालू करने की घोषणा की थी। उक्त कंपनी द्वारा इसमें बार-बार परिवर्तन किया जा रहा है और इन्कम टैक्स रिटर्न की तारीके बढ़ाई जा रही है। फार्म-26 एस ऑनलाईन पर लोड नहीं हो पा रहा है। पुराने रिटर्न को अपडेट कराना पड़ रहा है, जो कि पहले ही अपडेट हो चुका है। आयकर दाताओं के पासवर्ड अपडेट नहीं हो पा रहे है। इस कारण आयकर दाता कर चुकाने की इच्छा रखने के बावजूद भी आयकर नहीं भर पा रहे है। वर्तमान समय में माह में सात दिन ही इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट का सर्वर काम कर रहा है,ऐसे में आयकरदाताओं और चार्टेड अकाउंटेंट को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
वित्त विभाग तत्काल इस ओर कदम उठाए और जो सर्वर डाउन की स्थिति चल रही है और जो नई वेबसाईड बनाई गई है वह व्यवस्थित रुप से चले ताकि आयकरदाताओं को कर चुकाने में आसानी हो सके।
ये भी पढ़े : इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए सही ITR फॉर्म चुनना जरूरी, नहीं तो आ सकता है नोटिस
रतलाम। आने वाले दिनों में रतलाम का मास्टर प्लान लागू करने के लिए बैठकें आयोजित की जा रही है। हाल ही में आयोजित बैठक में जो मास्टर प्लान की बहस की गई है उसमें आने वाली अधिकांश जमीनें या तो भूमाफियाओं की है या फिर तथाकथित नेताओं की। जिस प्रकार से मास्टर प्लान बनाने का प्रयास किया जा रहा है उसमें भूमाफियाओं और नेताओं की जमीनों को संरक्षण देकर किसानों को अनदेखा किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि 2035 के मास्टर प्लान पर 296 आपत्तियां आई है और सुझाव आए है। इन सुझावों में रतलाम शहर के आसपास के गांवों के किसानों की अनदेखी की गई है। किसानों से सुझाव नहीं मांगे गए ना ही मास्टर प्लान में आने वाली जमीनों के प्रत्येक किसानों को नोटिस देकर अपनी आपत्ति व सुझाव देने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया। मास्टर प्लान में कुछ ग्रीनबेल्ट और आमोद-प्रमोद व अन्य उपयोग में लाने के लिए कुछ जमीनें डाली गई है, जिसमें भी कई आपत्तियां आई है, जो जमीनें इसमें आ रही है उससे संबंधित भू-संबंधित व किसानों के सुझाव भी प्रशासन को आमंत्रित करना चाहिए।
ये भी पढ़े : MUTUAL FUND INVESTMENT : निवेश से पहले इन 8 बातों का रखें ध्यान, वरना सकता है नुकसान
नेताओं के बीच बैठकर प्रशासन मास्टर प्लान पर चर्चा करने की बजाए यदि किसानों और सामाजिक संगठनों से इस बारे में चर्चा करें तो मास्टर प्लान शहर में बेहतर रुप से लागू हो सकता है। मास्टर प्लान में रतलाम के प्रमुख बाजारों का चौड़ीकरण भी शामिल होना चाहिए। शहर में खेल के मैदान व बगीचों का भी उल्लेख इस मास्टर प्लान में होना चाहिए।
शहर के मध्य लगने वाले बस स्टेण्डों को भी शहर से बाहर स्थापित करने के लिए भी मास्टर प्लान में प्रयास होना चाहिए। 2050 तक शहर की यातायात व्यवस्था कैसी होगी, कितना यातायात बढ़ेगा, कितने वाहन होंगे इस पर भी मास्टर प्लान की बैठकों में विचार होना चाहिए। इन सब सुझावों के लिए गांवों में जन संपर्क के माध्यम से किसानों के साथ चर्चा कर उनकी सहमति बनाना चाहिए।
यह देखा गया है कि मास्टर प्लान से संबंधित बैठकों की सूचना अखबारों के माध्यम से दी जाती है, जबकि किसानों तक समाचार पत्र उपलब्ध नहीं हो पाते है और उन्हें इससे संबंधित खबरें नहीं मिल पाती है। मास्टर प्लान से संबंधित जो भी सूचनाएं, दावे-आपत्तियां व नोटिस प्रत्येक किसान भू-स्वामी के पास आधुनिक सूचना तंत्र जैसे मोबाइल,वाट्सएप के माध्यम से देना चाहिए,ताकि संबंधित भू-स्वामी व किसान अपने हित के लिए दावे-आपत्ति व सुझाव प्रशासन को दे सके।
भू-माफियाओं की सांठगांठ से किसकी जमीन मास्टर प्लान में आएगी और किसकी जमीन मास्टर प्लान में नहीं होगी इसकी योजना बनाने की पूरी साजिश रची जा रही है।
मध्यप्रदेश सरकार मास्टर प्लान पर सहमति देने के पहले मास्टर प्लान से प्रभावित किसानों और जमीनों के मालिकों से भी पूछताछ करें। केवल बैठकों में पारित मास्टर प्लान को पारित करने से किसानों का अहित होगा। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान किसानों के हित में कई नियम व योजनाएं लागू कर रहे है और की है। ऐसे में मास्टर प्लान पर किसानों की सहमति जरूरी है, अन्यथा अन्नदाता अपने अधिकारों से वंचित हो जाएंगे।