दैनिक भास्कर ने बताया कि उसने अपनी टीम को राजस्थान के 11 जिलों के 65 स्वास्थ्य केंद्रों पर भेजा, जहाँ से 1300 से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की सच्चाई सामने आई। यही नहीं भास्कर की टीम ने कंसंट्रेटर की कीमतों की जांच के लिए कंसंट्रेटर सप्लाई करने वाली कंपनियों से भी बात की। जो कंसंट्रेटर महंगी कीमत पर खरीदे गए वही ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भास्कर को कंपनियां 35-40 हजार रुपये में देने को तैयार हैं।
दैनिक भास्कर रिपोर्ट के अनुसार, “नाम न छापने की शर्त पर एक निजी कंपनी ने बताया कि उस समय भी 5 लीटर क्षमता वाले कंसंट्रेटर 35-40 हजार रुपये के ही आ रहे थे। भास्कर टीम ने विधायक कोष से खरीदे गए 948 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की भी पड़ताल की, इसमें औसतन कीमत 1.06 लाख रु. बताई गई है।“
दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उन कंपनियों से भी ख़रीदे गए जिनका नाम घोटालों में आ चुका है। रिपोर्ट के अनुसार 5 साल पहले हुए एनएचएम घोटाले में कमिशन बांटने वाले व्यक्ति की कंपनी के माध्यम से कंसंट्रेटर खरीदे गए हैं।
सरकार का यह कहना है कि ये ऑक्सीजन कंसंट्रेटर संकट के समय खरीदे गए। परन्तु सवाल तो यह है कि दूसरी लहर के लगभग समाप्त होने के बाद इनकी सप्लाई क्यों की गई?
दैनिक भास्कर रिपोर्ट के अनुसार अजमेर (दक्षिण) के विधायक ने बताया कि, “मेरे विधायक कोष के 25 लाख रुपये में जो कंसंट्रेटर खरीदे गए हैं उन पर न किसी कंपनी का नाम है न कोई गारंटी कार्ड। ये 10 लीटर प्रति मिनट पर 30ऑक्सीजन बनाते हैं। ये अस्पताल में तो क्या घर पर उपयोग के भी काबिल नहीं हैं। ये कंसंट्रेटर पांच घंटे से ज्यादा नहीं चल सकते हैं।“
इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर घोटाला कितने बड़े स्तर पर किया गया। इसी तरह कांग्रेस की पंजाब सरकार ने भी वैक्सीन को लेकर घोटाला किया था।