जनता कांग्रेस के विधायक देवव्रत सिंह का दिवाली के दिन हार्ट अटैक से निधन हो गया है। बीते 500 सालों में पहली बार खैरागढ़ राज परिवार की दिवाली सुनी है। पूरे प्रदेश में शोक की लहर है। छत्तीसगढ़ की राजनीति का एक बड़ा नाम दिवाली के दिन सभी को छोड़कर चला गया है। खैरागढ़ राज परिवार के वारिस विधायक देवव्रत सिंह का राजनीतिक सफर भले ही अधूरा रह गया लेकिन अपने जीवन के 52 वर्ष में उन्होंने काफी उपलब्धियां हासिल की हैं। वहीं, एक बार अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी देवव्रत सिंह सुर्खियों में रहे हैं। देवव्रत सिंह राजपरिवार से आते थे, इसलिए अपनी लग्जरी जिंदगी को लेकर भी चर्चा में रहते थे। अक्सर वह शाही बग्घी पर नजर आते थे।
यह भी पढ़े : SBI दे रहा है शानदार मौका : हर महीने होगी 60 हजार रुपए की कमाई, जानें कैसे?
यह भी पढ़े : LIC Superhit Policy : 4 प्रीमियम भरे और घर बैठे पाएं 1 करोड़ रूपए, जानिए कैसे?
जानकारों की मानें तो खैरागढ़ राजघराने के बेटे देवव्रत सिंह का गांधी परिवार से गहरा नाता रहा है। बताया जाता है कि राजीव गांधी के करीबियों में देवव्रत सिंह की भी गिनती होती थी। कांग्रेस में शामिल होने के बाद दिल्ली में अक्सर राजीव गांधी के साथ उनका उठना बैठना होता था। मगर समय के साथ कांग्रेस से उनका मोहभंग हो गया है। इसके बाद उन्होंने जनता कांग्रेस का दामन लिया।
साल 1995 में पहली बार देवव्रत सिंह उपचुनाव जीते थे। इससे पहले इस सीट का प्रतिनिधित्व उनकी मां करती थी। देवव्रत सिंह खैरागढ़ विधानसभा सीट से 4 बार विधायक निर्वाचित हुए। वहीं, एक बार राजनांदगांव लोकसभा सीट से सांसद भी रहे हैं। इसके साथ ही वह एफसीआई के अध्यक्ष भी थे। कई संसदीय समिति के सदस्य भी रहे हैं। 1995 से 1998 तक खैरागढ़ से मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे हैं। वहीं, 1998 से 2003 तक पहले एमपी फिर छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य भी रहे हैं। इसके साथ ही 2007 से 2009 तक राजनांदगांव से लोकसभा चुनाव जीता और सांसद बने।
छत्तीसगढ़ गठन के बाद प्रदेश के पहले सीएम अजीत जोगी बने थे। देवव्रत सिंह अजीत जोगी के काफी करीबी माने जाते थे, इसीलिए फरवरी 2018 में कांग्रेस का दामन छोड़कर अजीत जोगी की तरफ से बनाई गई नई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ में शामिल हुए और विधायक बने। अजीत जोगी के निधन के बाद जनता कांग्रेस के साथ देवव्रत सिंह का नाता टूटता नजर आ रहा था। उनके बयानों से लगता था कि वह जल्द ही कांग्रेस में शामिल होने वाले थे। माना जा रहा था कि इस दिवाली के बाद देवव्रत सिंह कांग्रेस का दामन थाम सकते थे।
देवव्रत सिंह से उनकी पहली पत्नी पद्मा सिंह का तलाक साल 2015 में हुआ। बताया जा रहा है कि आपसी विवाद के बाद दोनों ने अलग रहने का निर्णय लिया था। अपनी पहली पत्नी को तलाक देने के एवज में उन्होंने 11 करोड़ रुपए का हर्जाना दिया था, जिसमें दिल्ली स्थित उनका बंगला और साढ़े छह करोड़ रुपए बैंक के खाते में जमा कराए थे। इसके बाद देवव्रत सिंह ने दूसरी शादी कर ली। देवव्रत सिंह का दूसरा विवाह उत्तर प्रदेश के कुंडा के चर्चित विधायक और राजपरिवार के सदस्य रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के मसौरी बहन विभा सिंह से हुआ। देवव्रत सिंह राज भैया के भी करीबी माने जाते रहे हैं।
वहीं, खैरागढ़ क्षेत्र में हर साल बड़े स्तर पर क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन होता रहा है। इसका आयोजन विधायक देवव्रत सिंह खुद करवाते थे। देवव्रत सिंह खुद भी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे हैं। सीके नायडू ट्रॉफी में भी वह खेल चुके हैं। उनकी बेटी शताक्षी उनके साथ ही रहती थी। निधन से दो दिन पहले ही उन्होंने एक तस्वीर शेयर की थी, जो उनके घर की सजावट की थी।