फ़िल्मी दुनिया में हमें दोस्तों का दो स्वरुप बताया गया है। जिसमें एक जय-वीरू वाली कहानी है, तो वहीं दूसरी में बताया गया कि हर एक फ्रेंड कमीना होता है। लेकिन आज जो कहानी हम बताने जा रहें वो कहीं न कहीं यह साबित करती है कि वास्तव में हर एक फ्रेंड कमीना नहीं होता और कुछ ऐसे भी होते हैं। जो जीवन में खुद तो तरक्की करते है साथ ही अपने दोस्त को भी साथ लेकर चलते हैं।
जी हाँ ऐसी ही यह कहानी है उन दो दोस्तों कि जो बचपन में दोस्त बनें थे, लेकिन अब एक हजारों करोड़ रुपए की कंपनी बनाने के बाद दोनों दोस्त कंपनी के अपने एग्जीक्यूटिव रोल को एक साथ छोड़ने भी वाले हैं। आइए ऐसे में चर्चा करें इनके दोस्ती के मिसाल की और साथ ही इनके कारोबार की…
दरअसल, यह कहानी है बचपन के दो ऐसे दोस्तों की। जिन्होंने आज के समय में 88 हजार करोड़ का एक साम्राज्य खड़ा कर दिया है और इन दो दोस्तों के बीच जो एक कॉमन बात थी वो ये कि उनके नाम और इनकी सोच भी एक जैसी थी। जी हाँ जिसकी बदौलत ही इन दोनों के बीच कभी कोई मन-मुटाव नहीं आया और न ही ये एकदूसरे से लड़ें-झगड़े।
वैसे कहते हैं कि पैसा अच्छे-अच्छों को बदल देता है, लेकिन इन दोनों के बीच शुरू से लेकर अंत तक कोई ऐसी बात नहीं दिखी और अब ये दोनों कंपनी के एक अहम पद से एक साथ इस्तीफा दे रहें और ये दोनों नाम कोई और नहीं, बल्कि राधेश्याम अग्रवाल (Radheshyam Agarwal) और राधेश्याम गोयनका (Radheshyam Goenka) हैं। मालूम हो कि ये दोनो दोस्त स्कूल खत्म करने के बाद सारा समय कॉस्मेटिक के फार्मूले सीखने में बिताते थे और इसके साथ ही ये दोनों दोस्त सस्ते गोंद और कार्डबोर्ड से गेम बनाते और उसे कोलकाता के बाजारों में बेंचा करते थे।
बता दें कि ये दोनों दोस्त स्कूल के दिनों से साधारण दोस्तों जैसे नहीं थे, बल्कि थोड़ा हटकर थे और शुरुआत से ही कमाई के तरीके दोनों मिलकर खोजते रहते थे और उन्होंने शुरू में जो कार्ड बोर्ड का काम शुरू किया। वह सिलसिला तकरीबन तीन सालों तक चलता रहा। वहीं इसके बाद इनके लगन और मेहनत को देखकर गोयनका के पिता ने इनको 20 हजार रुपए नकद दिए और फिर गोयनका ने तय किया कि इस पैसे से किए गए बिजनेस में दोनों की साझेदारी होगी।
फिर क्या इसी दिन से शुरू हुई एक ऐसी साझेदारी की मिसाल, जिसने इस बात को सिरे से नकार दिया कि पैसे को देखकर अच्छे से अच्छे लोग बदल जाते। वैसे बदलने वाले लोग बदल जाते होंगे, क्योंकि जब समय बदल सकता है, फिर आदमी की बिसात ही क्या? लेकिन इसी दिन से इन दोनों ने एक ‘केमको केमिकल्स’ नाम की कंपनी की शुरूआत की लेकिन उनका ये काम चल नहीं सका। वहीं दूसरी तरफ दोनों की शादी भी हो गई, जिससे उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई। इन सबके बावजूद न इन दोनों के हौंसले डगमगाएं और न ही इन दोनों का साथ छूटा।
वहीं बिजनेस के नए अवसर तलाशते हुए उनकी नौकरी बिरला ग्रुप में लग गई और नौकरी लगने के बाद दोनों ने करीब पांच साल उस संस्था के साथ काम किया। जिसके बाद फिर से इन्होने एक कंपनी खोली और इस बार इन्होने इमामी नाम से एक वैनिशिंग क्रीम को लांच किया। मालूम हो कि इस बार इन दोनों का बिजनेस प्लान कुछ हटकर था, क्योंकि पहले जो टेल्कम पाउडर आते थे वो टिन के डिब्बों में आते थे और वो देखने में ज्यादा आकर्षक नहीं होते थे, लेकिन इन्होंने बाजार में प्लास्टिक के डिब्बों को उतारा। जो देखने में आकर्षक और बेहद पॉश थे।
ऐसे में इस बार दोनों की गाडी निकल पड़ी और फिर इन दोनों ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज इमामी ग्रुप का कारोबार 60 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है। वहीं 130 से ज्यादा इमामी प्रॉडक्ट हर सेकंड बिकते हैं। बता दें कि इमामी लिमिटेड, जो ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी है, उसका टर्नओवर वित्त वर्ष 2020-21 में 2881 करोड़ रुपये दर्ज किया गया। वहीं बीएसई पर कंपनी का मार्केट कैप 22,143.45 करोड़ रुपये है।
आखिर में बता दें कि राधेश्याम अग्रवाल और राधेश्याम गोयनका एक समय भले कॉमन फ्रेंड के माध्यम से मिलें थे, लेकिन फिर ऐसे मिलें कि आजतक किसी दूसरे को फिर बीच में आने की जगह नहीं मिली और अब ये दोनों इमामी लिमिटेड (Emami Limited) का प्रबंधन नियंत्रण अपने अगली पीढ़ी को एक साथ देने जा रहें हैं।
ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि इतने बड़े ब्रांड का आगामी भविष्य क्या होगा और अब आरएस गोयनका के बड़े बेटे मोहन गोयनका और आरएस अग्रवाल के छोटे बेटे हर्ष अग्रवाल क्रमश: कंपनी के वाइस-चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का पद संभालेंगे। वहीं, कंपनी के संस्थापक कंपनी के बोर्ड में बने रहेंगे।