बेंकिंग सेवा से वंचित लोगो को बैंकिंग सेवा की मुख्य धारा में जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जन धन योजना लागू करी थी| जिसमे बेंकिंग सेवा से दूर रहे लोग अपना एकाउंट फ्री में खुलवा सकते है| ऐसे में करोडो लोगोने इसमें अपना अकाउंट खुलवाया भी था और उसमे लें दें भी शुरू करी थी| लेकिन स्टेट बेंक ऑफ़ इंडिया ने अपने जन धन खाता धारको के एकाउंट मेसे डिजिटल लें दें पर शुल्क वसूलना शुरू कर दिया था|
आइआइटी मुंबई ने इसके ऊपर एक रिपोर्ट तैयार करा है, जिसमे बताया गया है की SBI ने अपने जन धन खाता धारको के खाते मेसे करीब 254 करोड़ रुपये का शुल्क वसूला है| यह शुल्क डिजिटल लें दें करने पर वसूला गया है| हर लेनदेन पर 17.70 रुपये शुल्क वसूला गया था| SBI 254 करोड़ रुपये की राशी अप्रेल 2017 से सितंबर 2020 के दौरान वसूली है|
किसी अन्य बेंक ने कभी ऐसा शुल्क जन धन खाताधारको के खाते मेसे नहीं वसूला है| लेकिन SBI ने पहल करके शुल्क वसूलना शुरू कर दिया था| इस मामले की शिकायत वित्त मंत्रालय को करी गई थी| केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने SBI यह शुल्क वापिस करने का आदेश दिया था| जिसके बादसे SBI ने 17 फरवरी 2021 से अपने धवारा वसूले गए शुल्क को वापिस करना शुरू कर दिया है|
लेकिन अभी तक SBI ने 90 करोड़ रुपये की राशी ही अपने खाताधारको को लौटाई है, अभी भी 164 करोड़ रुपये की राशी बेंक द्वारा अपने खाताधारको को लौटानी बाकी है| सरकार डिजिटल लें दें को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास कर रही है, ऐसे में स्टेट बेंक ऑफ़ इंडिया द्वारा ऐसे डिजिटल ट्रांजेक्शन पर शुल्क वसूलना अपने आपमें मनमानी बरोबर है| लेकिन SBI अपने द्वारा वसूले गए शुल्क को वापिस कर रही है|