एप डाउनलोड करें

बेंगलुरु में अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस से जुड़े NGO पर ED रेड...!

अन्य ख़बरे Published by: paliwalwani Updated Wed, 19 Mar 2025 03:48 PM
विज्ञापन
बेंगलुरु में अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस से जुड़े NGO पर ED रेड...!
Follow Us
विज्ञापन

वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

बेंगलुरु.

बेंगलुरु स्थित जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन, ओपन सोरोस फाउंडेशन (OSF) और एमनेस्टी इंटरनेशनल के दफ्तरों पर ED ने छापा मारा। प्रधानमंत्री मोदी को अलोकतांत्रिक कहने वाले अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस से जुड़े NGO पर रेड हुई है।

एजेंसी ने एमनेस्टी और ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) के पूर्व-वर्तमान कर्मचारियों के घरों की भी तलाशी ली। रिपोर्ट्स के मुताबिक ED की कार्रवाई विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (FEMA) के उल्लंघन को लेकर हुई। छापे को लेकर OSF की तरफ से फिलहाल आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दिसंबर 2020 में ही भारत में अपनी एक्टिविटी बंद कर दी थी। संस्था के बैंक खाते अवैध विदेशी फंडिंग के आरोप के चलते फ्रीज भी किए गए थे। एमनेस्टी और ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) पर ओपन सोरोस फाउंडेशन (OSF) से फंडिंग मिलने का आरोप है।

इस मामले में CBI इनके खिलाफ चार्जशीट फाइल कर चुकी है। अब ED इसकी जांच कर रही है। जॉर्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त, 1930 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था। जॉर्ज पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने का एजेंडा चलाने का आरोप है।

सोरोस की संस्था ‘ओपन सोसाइटी फाउंडेशन’ ने 1999 में पहली बार भारत में एंट्री की। 2014 में इसने भारत में दवा, न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाने और विकलांग लोगों को मदद करने वाली संस्थाओं को फंड देना शुरू किया। 2016 में भारत सरकार ने देश में इस संस्था के जरिए होने वाली फंडिंग पर रोक लगा दी। अगस्त 2023 में जॉर्ज का म्यूनिख सिक्योरिटी काउंसिल में दिया बयान बेहद चर्चा में रहा। जब उन्होंने कहा था कि भारत लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं।

सोरोस ने CAA, 370 पर भी विवादित बयान दिए सोरोस ने भारत में नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने पर भी PM मोदी पर निशाना साधा था। सोरोस ने दोनों मौकों पर कहा था कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की तरफ बढ़ रहा है। दोनों ही मौकों पर उनके बयान बेहद तल्ख थे। 92 साल के जॉर्ज सोरोस दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं।

सोरोस एक यहूदी हैं, जिस वजह से सेकेंड वर्ल्ड वॉर के समय उन्हें अपना देश हंगरी छोड़ना पड़ा था। 1947 में वे लंदन पहुंचे। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में फिलासफी की पढ़ाई की। फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल 16 सितंबर 1992 में ब्रिटेन की करेंसी पाउंड में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। जिसके पीछे जॉर्ज सोरोस का हाथ माना गया था। इसके चलते उन्हें ब्रिटिश पाउंड को तोड़ने वाला इंसान भी कहा जाता है।

और पढ़ें...
विज्ञापन
Next