नई दिल्ली: भारत सरकार डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी में है। लेन-देन को तेज और आसान बनाने के साथ ही भ्रष्टाचार कम करने के मकसद से यह कदम उठाया जा रहा है। हालांकि, डिजिटल वॉलेट में गड़बड़ी और साइबर अपराधों का खतरा भी है। सरकार और जनता, दोनों इस नई व्यवस्था को लेकर सतर्क हैं।
डिजिटल रुपये, जिसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भी कहा जाता है, एक सरकारी जारी की गई करेंसी है जो डिजिटल रूप में होती है। इसे भौतिक रूप से नहीं छुआ जा सकता है, लेकिन इसे डिजिटल वॉलेट में स्टोर किया जा सकता है और इसका इस्तेमाल लेन-देन के लिए किया जा सकता है।
लेन-देन तेज और आसान होगा।
भ्रष्टाचार कम होगा।
नकली मुद्रा का खतरा कम होगा।
अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
डिजिटल वॉलेट में गड़बड़ी होने का खतरा होगा।
साइबर अपराधों का खतरा बढ़ जाएगा।
डिजिटल रूप से अशिक्षित लोगों को दिक्कतें होंगी।
गोपनीयता का खतरा हो सकता है।
भारत सरकार डिजिटल रुपये लाने के लिए कई सालों से काम कर रही है। 2022 में, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने डिजिटल रुपये के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट के तहत, RBI ने कुछ बैंकों और वित्तीय संस्थानों को डिजिटल रुपये का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा और RBI अब डिजिटल रुपया को आम लोगों के लिए उपलब्ध कराने की तैयारी में है।
डिजिटल रुपये का भविष्य उज्ज्वल माना जा रहा है। कई देश डिजिटल रुपया लाने की तैयारी में हैं। चीन, स्वीडन और बहामास जैसे कुछ देशों ने पहले ही डिजिटल रुपया लॉन्च कर दिया है। भारत भी जल्द ही डिजिटल रुपया लॉन्च करने वाला है।