सुल्तानपुर. आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने आईएएस की नौकरी दिलाने के नाम पर प्रांजल त्रिपाठी से 38 लाख रुपए की ठगी के मामले में दर्ज FIR की ईओडब्ल्यू (EOW) से जांच की मांग की है.
डीजीपी, यूपी को भेजे अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मामले में स्थानीय पुलिस अभियुक्तों से पूरी तरह मिली हुई है और जानबूझ कर घोर लापरवाही कर रही है. जानकारी के अनुसार इस मामले को पहले जांच के नाम पर एक महीने से ऊपर लटकाया गया और अभी भी यही स्थिति है.
अमिताभ ठाकुर ने कहा कि उन्होंने स्वयं एडिशनल एसपी सुल्तानपुर का एक वीडियो बयान देखा, जिसमें उन्होंने विवेचना प्रचलित होने के बाद भी इसे संदिग्ध बताया, जो बेहद दुखद है.
उन्होंने इन स्थितियों में इस मामले की सुल्तानपुर पुलिस द्वारा निष्पक्ष विवेचना संभव नहीं बताते हुए आर्थिक अपराध से जुड़े इस मामले की विवेचना ईओडब्ल्यू को ट्रांसफर करने की मांग की है.
संलग्न– अमिताभ ठाकुर द्वारा डीजीपी को भेजे गए पत्र की प्रति।
डॉ नूतन ठाकुर
प्रवक्ता
आजाद अधिकार सेना।
[ *सुल्तानपुर ब्रेकिंग*–अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर शहर के पर्यावरण पार्क में पहुंचे पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर। जिलाधिकारी कुमार हर्ष, सीडीओ अंकुर कौशिक पुलिस अधीक्षक कुंवर अनुपम सिंह, एमएलसी शैलेंद्र प्रताप सिंह, पालिकाध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल बीजेपी जिलाध्यक्ष सुशील त्रिपाठी और मंडलायुक्त गौरव दयाल के साथ नागरिकों ने शुरू किया योगाभ्यास। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ताजा लाइव कार्यक्रम। शहर समेत ग्रामीण अंचल के विभिन्न स्थानों पर विश्व योग दिवस पर चल रहे योग कार्यक्रम।
[ *सुलतानपुर/लखनऊ। सरकारी वकीलों की नियुक्ति की प्रक्रिया पिछले कई महीनों से लटके होने की वजह से अदालतों का कामकाज हो रहा प्रभावित,अभियोजन पक्ष की पैरवी में पड़ रही बाधा। लम्बे समय से लटकी है शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति का मामला। शासन व जिम्मेदार अफसर जल्द ले सकते है संज्ञान*
*मिली जानकारी के मुताबिक लगभग 10 सरकारी वकीलों की नियुक्ति की लटकी है प्रक्रिया। सरकारी वकीलों की आबद्धता सम्बंधित प्रक्रिया फाइनल न होने की वजह से अदालतों पर लम्बे समय से बाधित हो रहा अभियोजन पक्ष की पैरवी का कार्य। बड़ी मुश्किल से अदालतों पर हो पा रही अभियोजन पक्ष की पैरवी। सरकारी वकीलों को करनी पड़ रही काफी भाग-दौड़,फिर भी कई अभियोजन गवाह बिना गवाही हुए ही लौट जाते है वापस*
*हत्या जैसे अन्य गम्भीर मामलो एवं अन्य तरीके के मामलों में भी सरकारी वकीलों की कमी होने की वजह से अभियोजन पक्ष की तरफ से नहीं हो पा रही अपेक्षित पैरवी,नतीजतन लम्बे समय तक चलता रहता है ट्रायल। ऐसी अव्यवस्था के बीच कार्य होने से देर में न्याय मिलने के साथ-साथ कई मामलों में न्याय भी हो जाता है प्रभावित। ट्रायल खिंचने की वजह से बदल जाते है कई गवाहों के इरादे। कुछ की पारिवारिक परिस्थितियां दे देती है जवाब। ऐसे में जरूरी मानी जा रही सरकारी वकीलों की जल्द तैनाती*
*देखना है इस सिस्टम के बीच अभी कितने समय तक लटकती है सरकारी वकीलों की नियुक्ति की प्रक्रिया। मिली जानकारी के मुताबिक एडीजीसी क्रिमिनल पद पर दो,एडीजीसी सिविल पद पर एक,एडीजीसी राजस्व पद पर एक,नामिका अधिवक्ता फौजदारी पद पर तीन व नामिका अधिवक्ता सिविल पद पर तीन पदों पर लटकी है नियुक्ति की प्रक्रिया। आखिर सारी औपचारिकताएँ पूरी हो जाने के बाद किस स्तर पर बार-बार सरकारी वकीलों की नियुक्ति का लटक जाता है मामला। आखिर क्या है इसकी असल वजह और कौन है इन सबका जिम्मेदार,उठ रहा बड़ा सवाल.