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मोदी कैबिनेट में फेरबदल से कैसे गड़बड़ाया मध्य प्रदेश में BJP का बैलेंस, अब किसका हुआ दबदबा

मध्य प्रदेश Published by: Paliwalwani Updated Sat, 10 Jul 2021 06:38 PM
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केंद्रीय मंत्री परिषद में हुए फेरबदल और विस्तार से मध्य प्रदेश में भाजपा का क्षेत्रीय संतुलन गड़बड़ा गया है। भाजपा का मजबूत गढ़ माने जाने वाला मालवा क्षेत्र बेहद कमजोर पड़ा है, जबकि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र का वजन ज्यादा बढ़ गया है। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से आने वाले नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र में कैबिनेट मंत्री हैं। वहीं प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा भी इसी क्षेत्र से हैं। दूसरी तरफ थावरचंद गहलोत की केंद्र सरकार से हटने के बाद मालवा क्षेत्र केंद्र और राज्य दोनों जगह शीर्ष भूमिका से लगभग गायब है।

मध्य प्रदेश की राजनीति में केंद्र से लेकर राज्य तक मालवा क्षेत्र शुरू से ही काफी प्रभावी रहा है, लेकिन इन दिनों क्षेत्र का दबदबा कम हो गया है। इसकी तुलना में मध्य भारत, ग्वालियर-चंबल व बुंदेलखंड क्षेत्र को काफी अहमियत मिली हुई है। थावरचंद गहलोत के केंद्र सरकार से हटने के बाद केंद्र सरकार में मालवा का प्रतिनिधित्व समाप्त हो गया है। प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में भी मालवा नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्य भारत से हैं जबकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा ग्वालियर चंबल संभाग से आते हैं। साथ ही वह बुंदेलखंड से सांसद हैं।

मालवा से भाजपा के एकमात्र बड़े चेहरे कैलाश विजयवर्गीय वैसे तो राष्ट्रीय महासचिव हैं, लेकिन पार्टी ने उनको विधानसभा या संसद में नहीं भेजा है। मालवा क्षेत्र से बीते कई सालों से भाजपा के दो बड़े चेहरे सुमित्रा महाजन और थावरचंद गहलोत रहे है। महाजन तो पिछली लोकसभा की अध्यक्ष भी थीं। थावरचंद गहलोत बीते सात साल से केंद्र सरकार में मंत्री, भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य और मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में राज्यसभा में सदन के नेता भी थे। महाजन सक्रिय राजनीति से बाहर हैं, जबकि थावरचंद गहलोत राज्यपाल बना दिए गए हैं। केंद्र सरकार में मध्य प्रदेश से पांच मंत्री हैं, जिनमें नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर से हैं।

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