राजगढ़. मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने राजगढ़ के सुठलिया में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि अब तो लोगों को सरकार से भीख मांगने की आदत पड़ गई है। नेता मिलने के लिए आते हैं, तो एक टोकरी तो कागज मिलते हैं। मंच पर माला पहनाएंगे और पत्र पकड़ा देंगे, यह अच्छी आदत नहीं है।
उन्होंने कहा- लेने की बजाए देने का मानस बनाइए। मैं दावे से कहता हूं कि आप भी सुखी होंगे और एक संस्कारवाद समाज को खड़ा कर सकेंगे। भिखारियों की फौज इकटठा करना यह समाज को मजबूत करना नहीं है, यह समाज को कमजोर करना है। मंत्री प्रहलात पटेल यहां वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी की प्रतिमा के अनावरण पहुंचे थे।
मंत्री ने जनता के मांग पत्रों को भीख करार दे दिया। भिखारियों की फौज इकटठा करना समाज को मजबूत करना नहीं, बल्कि कमजोर करना है। उन्होंने आगे कहा कि अपने बच्चों को संभालकर रखिए। यह भिक्षा दीजिए मुझे की वह नशे से दूर रहे, उनका चरित्र हो। किसी की नकल करके धन कमाने के पागलपन में मत पड़िए।
अगर आपके भीतर संस्कार व चरित्र होगा, व्यसन नहीं होगा तो आप खुद ताकतवर होंगे। उन्होंने अपनी नर्मदा परिक्रमा का जिक्र करते हुए कहा कि नर्मदा परिक्रमावासी हूं, इसलिए भिक्षा मांग सकता हूं। इसलिए मुझे भिक्षा दीजिए कि युवा नशे से देर रहे, उनका चरित्र हो।
मंत्री ने समाज के लोगों से कहा कि अमीर बनने का एक ही तरीका है या तो कमाओ या खर्चा कम करो। लेकिन अब फैशन हो गई है कमाने की, और खर्च कमाने से ज्यादा करते हैं। वही समाज सबसे ज्यादा समृद्ध होता है, जो अपनी मेहनत की कमाई को किसी जरूरतमंद को देते हैं।
आगे कहा कि ऐसे किसी कार्यकम में बुलाएं कि हम 200 लोग हैं जिन्होंने व्यसन से दूर रहने का निर्णय लिया है। मुझे ऐसे जज्बे वाले लोग चाहिए। अगर वह मुझे इस आधार पर बुलाएंगे तो मुझे खुशी होगी। उन्होंने कहा कि पूरा देश मेरी समाज है। हम एक परिवार भाव से काम करते हैं।
उन्होंने वीरांगना के बारे में सुनाते हुए कहा कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में काम किया। गरीब जनता से अंग्रेज कर्ज लेना चाहते थे व रानी उसके खिलाफ थी, वह अपने राजकोष से कर देने को तैयार थी। इसी बात पर अंग्रेजों से विवाद हुआ था। मैं बेटे-बेटियों से कहना चाहूंगा कि आज आपके सामने कोई चुनौती नहीं, जिन चुनौतियों का उन्होंने मुकाबला किया।
उपिस्थतिजनों को आगाह करते हुए कहा कि प्रतिमाओं के लगाने से कुछ नहीं होता यदि आप उनके चरित्र को जीवन में न उतारो। कहा कि वीरांगना की प्रतिमा स्थापित की है यह अच्छी बात है, लेकिन यदि उनके चरित्र को जीवन में धारण न कर सको तो उनके इस चित्र का कोई औचित्य नहीं है।