सतना :
ऐसे में सर्वाधिक जरूरत होती है तो वह है बिजली की। वहीं यदि बिजली गुल हो जाए तो परेशानी आना लाजमी है। बारिश का दौर शुरू होते ही बिजली विभाग स्वयं ही बिजली कट कर देता है। लेकिन जिन जगहों से 11 केवी 440 लाइन के दो तार भी जर्जर अवस्था में खेतों के बीच में झूलते रहते हैं। फास्ट और हादसों की आशंका से घिरा बिजली विभाग सुरक्षा नियमों की कोई परहेज करने मे लज्जा महसूस कर्ता है! इसी कारणों से ऐसा किया जाता है किसानों का आरोप है कि बिजली कंपनी लगातार मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने की बात कहती रहती है। लेकिन मेंटेनेंस का काम कहां हुआ यह आज तक नजर नहीं आता।
मेंटेनेंस प्रभारी नीद में नीद लिये जा रहे है विद्युत विभाग के जिम्मेदार अभियंताओं की लापरवाही का खामियाजा ग्राम देवमऊ सहित आसपास के दर्जनों गांवों की आम जनता को मजबूरन भुगतना पड़ रहा है। पूर्व दिनों में रोजाना पाच से सात घंटे बिजली आपूर्ति ठप होना आम बात थी |जरा शि बारिश से विद्युत सिस्टम सुधरने की बजाय बिगड़ता ही जा रहा है।
हालात इतने बदतर हो रहे हैं कि जरा सी बारिश होते ही विद्युत सप्लाई बंद हो जाती है इसके बाद घंटों सप्लाई चालू नहीं होती। जनता परेशान होती रहे मगर फील्ड अधिकारियों को कोई सरोकार नहीं है। आश्चर्य की बात तो यह है कि शहर के वरिष्ठ अधिकारी सीई और एसई को रात में अगर कोई फॉल्ट की सूचना दे तो तत्काल रिस्पांस मिलता है, मगर फील्ड में तैनात एई, जेई रात के वक्त जनता की पुकार नहीं सुन रहे हैं। जिससे लोगों को घंटों अँधेरे में रात गुजारने की नौबत आ रही है।
मेंटेनेंस के नाम पर पेड़ों की छँटाई बिजली विभाग द्वारा साल में दो से तीन बार मेंटेनेंस कराने का दावा किया जाता है इसके बाद भी जरा सी हवा और बारिश में सप्लाई बंद होना आम बात हो गई है। जानकारों का कहना है कि पिछले कुछ समय से देखने में आ रहा है कि मेंटेनेंस के नाम पर केवल पेड़ों की छँटाई ही की जा रही है। जहाँ कहीं भी विद्युत लाइनों के आसपास टहनियाँ या पत्तियाँ टकरा रही हैं उन्हें काटकर मेंटेनेंस की औपचारिकताएँ पूरी की जा रही हैं। और जुलती तार से फास्ट की बजह से डिओ बस्र्ट होना, जम्पर निकलना या खराब होना, इंसुलेटर खराब होना, डिस्क पंक्चर होने से लेकर एमई तक खराब हो जाते हैं