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Indore News : श्री चंद्रकांत देवताले की कविताओं के उत्सव ने स्थापित किए कई प्रतिमान

इंदौर Published by: sunil paliwal-Anil Bagora Updated Wed, 13 Nov 2024 02:35 AM
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ई सफल नवाचारों से सांस्कृतिक इतिहास में दर्ज़ हो गया पानी का दरख़्त

Aalok Bajpai

इंदौर. कई आयोजन ऐसे होते हैं जो सांस्कृतिक इतिहास में दर्ज़ होने की योग्यता रखते हैं। लब्ध प्रतिष्ठित कवि श्री चंद्रकांत देवताले जी की स्मृति में आयोजित कविता-वायलिन वादन और चित्रकला का पहला पहल संगम प्रस्तुत करता 'पानी का दरख़्त' शहर के संस्कृतिप्रेमियों को सुखद आश्चर्य देने वाला तो साबित हुआ ही इसके किए गए नवाचारों के कारण इतिहास में दर्ज़ भी हो गया। 

श्री चंद्रकांत देवताले की बिटिया एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वायलिन वादिका सुश्री अनुप्रिया देवताले की संकल्पना थी अनेक कला माध्यमों से एक साथ श्री देवताले की कविताओं को साकार किया जाए। लेकिन यह संकल्पना इतनी  खूबसूरती के साथ साकार हो सकती है यह शहर के संगीत, साहित्य और कला प्रेमियों ने सोचा भी न था। श्री देवताले की विविधरंगी रचनाओं को सुश्री अनुप्रिया के मनमोहक वायलिन वादन के साथ जब संस्कृतिकर्मी आलोक बाजपेयी ने पढ़ा तो मानों उनके भाव ही नहीं बल्कि एक-एक शब्द जीवंत हो उठा।

श्री जीवेश आनंद के विशेष रूप से तैयार सांगीतिक ट्रैक्स ने माहौल को और शब्दातीत बना दिया। कविताओं के मंच से साकार करते सुरों और शब्दों के बीच अपने ब्रश और रंगों से कैनवास पर उन्हीं रचनाओं को जाने माने कलाकार श्री सीरज सक्सेना ने साकार कर दिया। विविध कला माध्यमों से किसी कवि की रचनाओं को एक ही मंच से साकार करने का यह इंदौर ही नहीं संभवतः पूरे देश में पहला अवसर था। 

पानी का दरख़्त' में इससे इतर भी कई नवाचार थे। पूरा कार्यक्रम कविताओं की विषय वस्तु के हिसाब से तीन भागों में विभक्त होने के बाद भी बिना किसी ब्रेक के था। भावों की निर्मिति में किसी भी प्रकार का व्यवधान न होने से कार्यक्रम में दर्शक इस तरह बंध गए कि उन्हें समय का आभास ही नहीं रहा। कविता के स्वर, वायलिन की आवाज़ और कैनवास पर ब्रश स्ट्रोक्स की युति ने वह अद्वितीय समां बाँधा कि दर्शक पूरे समय इसी पशोपेश में लगे रहे कि ज़्यादा ध्यान किस कलाकार पर लगाएं।

एक जगह ध्यान अधिक लगाने से दूसरी कला का कुछ छूट न जाए। ऑडियंस पर रौशनी न के बराबर होने से जैम पैक हॉल के बाद भी आभास होता रहा कि कलाकार हॉल में केले ही हैं और दर्शकों की करतल ध्वनि से ही आभास होता था कि प्रदर्शन हाउसफुल सभागार में हो रहा है। इन सबके पूर्व पत्रकार सुश्री जयश्री पिंगले ने कवि श्री चंद्रकांत देवताले जी के विषय में अद्भुद बातें बेहद रोचक अंदाज़ से यादकर कविता उत्सव की भावभूमि बना दी। 

कार्यक्रम के प्रथम चरण में वरिष्ठ कवि सर्वश्री सरोज कुमार, नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, पद्मश्री भालू मोंढे, श्री जयंत भिसे एवं श्री सत्यनारायण व्यास ने कलाकारों के साथ दीप प्रज्वलन किया। आयोजक संस्था कवि चंद्रकांत देवताले साहित्य-संगीत संस्थान की ओर से सुश्री अनुप्रिया देवताले एवं सहयोगी संस्थाओं सूत्रधार, कला स्तंभ एवं मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन की इंदौर इकाई की ओर से श्री सत्यनारायण व्यास, पुष्कर सोनी एवं आलोक बाजपेयी ने अतिथियों का स्वागत किया।

कार्यक्रम के अंतिम हिस्से में श्री जीवेश आनंद ने श्री देवताले के साथ बिताए पलों को याद करते हुए उनके व्यक्तित्व की अनेक विशेषताएं प्रभावी ढ़ंग से व्यक्त की। आयोजन में श्री देवताले को चाहने वाले सभी संगठनों के  साहित्यकार, संगीत प्रेमी एवं कलाकार उपस्थित थे। एक स्तरीय कार्यक्रम के लिए शहर के सभी बड़े संस्कृतिकर्मियों का उपस्थित होना भी एक आनंदित करने वाली बात थी तथा कई कलाकारों का आपस में लंबे समय बाद मिलना हुआ।अंत में आभार प्रदर्शन सुश्री अनुप्रिया देवताले ने किया। कुल मिलाकर यह आयोजन लंबे समय तक शहर के संस्कृतिप्रेमियों को याद रहेगा।

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