नितिनमोहन शर्मा....
50 हजारी भार्गव। ये पंच लाइन "भगवा ब्रिगेड" से निकलकर बाहर आई है। मसला नगर निगम चुनाव ओर महापौर उम्मीदवार पुष्यमित्र भार्गव का है। कांग्रेस के महापौर चुनाव जीतने के मचे शोर के बीच भाजपाई हलकों में पसरे सन्नाटे को तोड़ते हुए भगवा वाहिनी ने दावा किया है कि भाजपा का न केवल महापौर जीत रहा है बल्कि निगम परिषद भी बन रही है। स्प्ष्ट बहुमत के साथ। हालांकि भगवा ब्रिगेड ने पार्षदों की संख्या में कम ज्यादा की सम्भावनाओ को स्वीकार किया है। उसका कारण भी टिकट वितरण में चली नेताओ की मनमानी को बताया है। लेकिन महापोर उम्मीदवार पुष्यमित्र भार्गव की जीत 50 हजार से ऊपर बताई गई है। एक अनुमान 1 लाख से ऊपर का भी सामने आया है। दूसरी तरफ टीम शुक्ला पूरी तरह आश्वस्त है कि जीत हमारे नेता संजय शुक्ला की ही होगी।
प्रदेश का सबसे चर्चित मुकाबले में शुमार इंदौर को लेकर जिज्ञासा का बाजार 6 जुलाई शाम से सजा हुआ है। मतदान समाप्ति के बाद से ही शहरभर में कांग्रेस की जीत के दावों का शोर मचा हुआ है। दूसरी तरफ भाजपाई हलकों में सन्नाटा पसरा हुआ है। मतदान खत्म होने के सप्ताहभर बाद भी पार्टी की तरफ से अब तक जीत के दावे का बयान तक सामने नही आया। सामान्य बातचीत में पार्टी नेता जीत हार की बात तो करते है लेकिन खम ठोककर जीत का आंकड़ा कोई नही बता रहा। पार्टी की मान्य परिपाटी के तहत वो बैठक भी नही हुई जिसमें शहरभर में हुई वोटिंग के हिसाब से जीत हार का एक मोटा मोटा आकलन निकाल लिया जाता था। ये काम दो तरफा होता आया है। एक तरफ पार्टी चुनाव मैदान के किये परिश्रम के आधार पर वार्डवार आकलन करती थी। दूसरी तरफ आरएसएस का नेटवर्क भी चुनाव निपटने के तत्काल बाद अपनी रिपोर्ट भी तैयार कर लेता था कि किस विधानसभा क्षेत्र में क्या स्थिति रही। दोनो के आकलन के हिसाब से पार्टी हार जीत को लेकर निश्चित हो जाती। इस बार ऐसा कुछ नही हुआ। क्योकि आरएसएस अधिकृत रूप से निगम चुनाव से दूर रहा ओर पार्टी में वो सिस्टम ही धूलधूसरित हो चला जो इस तरह की कवायदें करने में एक्सपर्ट था। लिहाजा सब तरफ कांग्रेस और संजय शुक्ला की जीत का शोर है।
शोर पर कान रखकर भगवा ब्रिगेड ने अपना आकलन अंदर खाने में तैयार किया। घोषित रूप से तो आरएसएस का कोई भी नेटवर्क चुनाव के मैदान में नही था लेकिन मतदान वाले दिन जिस तरह मतदातओं के घर पर स्वयंसेवकों की दस्तक हुई, उसने साफ कर दिया था की आरएसएस पर्दे के पीछे से कही न कही सक्रिय है। सूत्र बताते है कि संघ के चुनिंदा लोग भार्गव की राह को आसान बनाने में उस वक्त सामने आए जब ये पूरी तरह साफ हो गया कि भाजपा की तरफ से पूरा चुनाव बिखरा बिखरा है और जो जिम्मेदारी के साथ मैदान में है उनसे कोई फीडबैक लेने वाला भी कोई नही। आखरी के 5 दिन में संघ की "चुनावी एक्सपर्ट" टीम गुपचुप काम में जुट गई। इसी टीम ने गुणाभाग कर साफ कर दिया है कि पार्टी स्तर पर रही तमाम प्रतिकूलताओ के बाद भी इंदौर में पुष्यमित्र भार्गव 50 हजार से ज्यादा वोटो से चुनाव जीत जाएंगे। संघ का ये आकलन टीम संजय शुक्ला के दावों के हिसाब से वोट घटाने के बाद का है। सबसे चौकाने वाला खुलासा तो विधनासभा 1को लेकर किया गया है। कांग्रेस महापोर उम्मीदवार संजय शुक्ला का ये गृह क्षेत्र के साथ साथ उनकी विधनासभा भी है। सबसे ज्यादा वोटिंग भी यही हुआ है ओर कांग्रेस कम से कम 25 हजार की बढ़त इस क्षेत्र से मानकर चल रही है। बड़े हुए मत प्रतिशत ने कॉंग्रेस की उम्मीदों को पंख भी दिए लेकिन संघ का आकलन यहां ठीक विपरीत है। भगवा ब्रिगेड का दांवा है कि शुक्ला उनकी अपनी विधनासभा में ही बढ़त नही ले पाएंगे।
भगवा वाहिनी ने प्रत्येक विधनासभा क्षेत्र के वार्डवार आंकड़ो पर एक्सरसाइज कर ये भी दांवा किया है कि भाजपा महापोर उम्मीदवार शहर की सभी पांचो विधानसभा सीट ओर राऊ से बढ़त बनाएंगे। उम्मीद के सबसे बड़े केंद्र विधानसभा 2 ओर 4 है। इस बार राऊ विधनासभा के शहरी क्षत्र को भी बड़ी बढ़त का आधार माना गया है। विधनासभा 2में कम वोटिंग के बाद भी यहाँ से 40 से 50 हजार की लीड मानी गई है। पार्टी की अयोध्या कहे जाने वाले विधनासभा 4 का भी ये ही आकलन किया गया है। राऊ सीट के शहरी वार्ड से 15 से 20 हजार की बढ़त जोड़ी गई है। विधनासभा 3 और 5 में अल्पसंख्यक वर्ग के कम मतदान ने संघ के नीति निर्धारकों को राहत दे रखी है।
पुष्यमित्र भार्गब की 50 हजारी जीत का गुणाभाग बहुत सोच समझकर किया गया है। सूत्र बताते है कि संघ के आकलन में ये भी सुनिश्चित रखा गया कि शुक्ला के कारण वोट पलटा भी है। पलटने वाले वोट ओर कुल वोट को 55 - 45 अनुपात में बांटकर आकलन निकाला गया है। संघ का मानना है कि भाजपा के प्रतिबद्ध मतदाता ने अपना काम खामोशी से किया है।
भगवा ब्रिगेड की नजर कांग्रेस की भीतरघात पर भी थी। जीत के दांवों में कांग्रेस के सेबोतेज को भी शामिल किया है। भगवा ब्रिगेड का दांवा है कि विधनासभा 5 ओर राऊ में कांग्रेस का काम "बिगड़ा" है। विधनासभा में तो पार्टी के स्थानीय तमाम क्षत्रप बस जुबानी जमा खर्च ही कर रहे थे। यहाँ खजराना ओर आजाद नगर जैसे इलाको में हुई कम वोटिंग भी इसी का परिणाम है।
भगवा वाहिनी का दांवा है कि शहरभर से जीतने का दांवा कर रही कांग्रेस का उम्मीदवार विधनासभा 1 से ही बढ़त नही बना पायेगा। इस विधनासभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा हुए मतदान को कांग्रेस अपने फेवर में बता रही है लेकिन इस बड़े हुए मत प्रतिशत को भाजपा का वो धड़ा अपना बता रहा है जिसने इस क्षेत्र में पार्टी के लिए समानांतर जमीन पर काम किया। ये वो बड़ा धड़ा था जो सुदर्शन गुप्ता को अपना नेता नही मानता ओर इसी कारण वह मेहनत से दूर था कि काम हम करेंगे और श्रेय गुप्ता ले जाएंगे। इस धड़े आरएसएस की पहल पर पहले भार्गव के साथ अलग से बैठक की ओर फिर जमीन पर उतर गया। पार्टी के वरिष्ठ नेता कृष्णमुरारी मोघे ने इस धड़े के समन्वय बने थे। लिहाजा इस गुट का दांवा है कि हम शुक्ला को उनकी ही विधनासभा से हराकर आगे रवाना करेंगे। कांग्रेस खेमा इस दांवे को हास्यास्पद बताते हुए अपनी बात पर कायम है- संजू 25 हजार से ज्यादा की लीड 1 नम्बर से लेंगे