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सच का खुलासा : साहस-सलीक़े के संग, एक औऱ सफ़ल पड़ाव पार : न डरेंगे, न दबेंगे, न झुकेंगे, सच...लिखतें रहेंगे

इंदौर Published by: नितिनमोहन शर्मा. Updated Wed, 02 Jul 2025 02:43 AM
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बेसब्री से इंतजार, ख़ालिस इन्दौरी आवाज़-ख़ुलासा फर्स्ट 

इंदौर-मालवा अंचल ही नही, प्रदेश में निर्भिक पत्रकारिता का पर्याय बनकर उभरा ख़ुलासा फर्स्ट अखबार_ 

इंदौर ही नही, पूरे राज्य के सांध्यकालीन अखबारों में ख़ुलासा फर्स्ट  का राज़ क़ायम 

इन्दौरी हर दिन बेसब्री से करते है ख़ुलासा फर्स्ट का इंतजार, अरसे बाद किसी अखबार को मिला ये सौभाग्य 

धर्म, समाज, राजनीति, खेल, व्यापार, अपराध, सामाजिक सरोकार की खबरों में सिरमौर 

 डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सर्वाधिक पढ़े जाना वाला अखबार बना ख़ुलासा फर्स्ट

ख़ालिस इंदौर की आवाज़ यानि ख़ुलासा फर्स्ट...प्रणम्य है आप सब सुधि पाठकों का प्रेम। नतमस्तक है हम पुनः एक बार आपके समक्ष। आपके स्नेह के समक्ष, आपके भरोसे के प्रति दंडवत हैं हम।आज हम सफलता का एक और वर्ष पूर्ण कर रहे हैं। उत्सव , उल्लास के इस पल में हमारी आपके प्रति, कलम के प्रति, पत्रकारिता के मानदंडों के प्रति जिम्मेदारी ओर भी बढ़ गई हैं।

आपकी अपेक्षाओं पर खरे बने रहने के लिए हमारा "खरा-खट" होना भी आवश्यक हैं। आप पाठकों की ताकत के दम पर हम ऐसा करेंगे ही। हम आपके लिए, कलम के लिए खरे, शुद्ध बने रहंगे। ये विश्वास हैं। आत्मविश्वास हैं। आपके इसी भरोसे के दम पर हम अखबार की एक ओर वर्षगाँठ पर आपसे वादा करते है कि हम न डरेंगे, न दबेंगे, न झुकेंगे। सच लिखते रहेंगे। बगेर किसी प्रलोभन के। पूरी ताकत के साथ। साहस और सलीके के साथ। 

 नितिनमोहन शर्मा...✍️

इंदौर और इंदोरियो का भरोसा जितना कोई मामूली बात हैं? वह भी तब, जब शहर में मीडिया के हमसे ज्येष्ठ औऱ श्रेष्ठ प्रकाशन समूह यहां स्थापित है। बरसो बरस से। इन समूहों की भी अपनी प्रतिष्ठा हैं। बरसो बरस की शब्द साधना हैं। बड़ा पाठक वर्ग है। काम करने के तौर-तरीके औऱ संसाधन हमसे कई कई गुना  बेहतर हैं। मजबूत टीम, एक्सपर्ट लोग। विषय विशेषज्ञों की कोर टीमें। शासन-प्रशासन, सत्ता प्रतिष्ठानों का "लाड़-दुलार" भी हैं। आर्थिक तंत्र भी मजबूत हैं। 

 हम क्या है? हमारे ज्येष्ठ-श्रेष्ठ हम बिरादर अखबारों के समकक्ष? कुछ भी नही। दूर दूर तक शून्य। जैसा बीते बरस की वर्षगांठ पर लिखा था- "हाथ पैर के दम पर" अखबार का प्रकाशन। न कोई संसाधन। न जेब मे मोटा रोकड़ा। न कोई पीठ पीछे पैसा लगाने वाला। न कोई गॉड फ़ादर। न कोई प्रकाशन की पृष्ठभूमि। न सत्ता प्रतिष्ठान का कोई प्रश्रय। न किसी मंत्री, विधायक, सांसद का शुभाशीष। बावजूद इसके ख़ुलासा फर्स्ट बतौर एक दमदार अखबार के रूप में मौजूद है। हमारा सपना साकार हुआ। न केवल साकार हुआ, बल्कि आप सबकी अपेक्षाओं पर खरा भी उतरा।

 जन जन का ये भरोसा हैं कि ख़ुलासा फर्स्ट जिस प्रकार की पत्रकारिता कर रहा हैं, वैसा कोई नही कर रहा। ये अखबार साहस और सलीक़े के साथ जो ख़ुलासा करता हैं, ऐसा शहर में और कोई नही करता, न कर सकता हैं। ये भी इंदौर का ही कहना है कि इतने कम समय मे ख़ुलासा फर्स्ट ने शहर में वो धूम मचा दी है कि सब तरफ सांध्यकालीन अखबारों में वो ही छाया हुआ हैं। बिन पढ़े मजा ही नही आता।

बेसब्री से इंतजार रहता है कि आज ख़ुलासा फर्स्ट ने क्या ख़ुलासा किया। फिर चाहे वो मामला राजनीति से जुड़ा हो या अपराध से। शहर की तासीर से जुड़ा हो या फिर सामाजिक सरोकारों से। तीज-त्यौहार, पर्व-परम्परा हो या फिर मामला कला- सँस्कृति-उत्सव का हो। आमजन जानता और मानता भी है कि ख़ुलासा फर्स्ट ही इंदौर की असली आवाज बन गया हैं। वो आवाज़ जो कोई मंद नही कर सकता।*_ 

 हम स्वयम की पीठ नहीं थपथपा रहें हैं। ये इंदौर की बात हैं। भरोसा न हो तो इंदोरियो से पूछकर देख लीजिए। किसी एक्सपर्ट से सर्वे करा लीजिये। जनता से जुड़े हर ज्वलन्त मुद्दे पर हमने बेबाकी से वो लिखा, जो इंदौर के लिए जरूरी था। हमने सत्ता प्रतिष्ठान के गुणगान नही गाये। न ब्यूरोक्रेसी के सपने परोसे।

जनहित के मसले पर सत्य के साथ खड़े रहे। इस बात का सर्टिफिकेट हमें किसी से पाने की अपेक्षा भी नही, न कभी रहेगी। बस इंदौर औऱ इंदोरियो का भरोसा-विश्वास ही पर्याप्त है। शहर का आम आदमी ही नही, प्रबुद्धजनों से पड़ताल कर देखिए। हक़ीक़त सामने वही आएगी, जो इंदौर और ख़ालिस इन्दौरी कहते हैं- ख़ुलासा फर्स्ट ही अच्छी, सच्ची, निर्भिक व इंदौर से जुड़ी पत्रकारिता कर रहा हैं।

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