इंदौर. 5 जुलाई 2025: विशेष जुपिटर हॉस्पिटल, इंदौर में आयोजित दो दिवसीय मेडिकल ट्रेनिंग वर्कशॉप “हर्निया एसेंशियल्स डिडैक्टिक्स” के दूसरे दिन 5 जुलाई 2025 को चिकित्सा शिक्षा और सर्जिकल उत्कृष्टता की दिशा में एक प्रभावशाली कदम देखने को मिला। देशभर से आए युवा सर्जनों, मेडिकल छात्रों और विशेषज्ञों ने इस सघन प्रशिक्षण सत्र में भाग लिया, जिसमें हर्निया की जटिलताओं, आधुनिक सर्जिकल तकनीकों और लाइव केस प्रेजेंटेशन पर गहन चर्चा हुई।
दिन की शुरुआत सुबह 9:00 बजे लाइव वर्कशॉप से हुई, जिसमें हर्निया रिपेयर की प्रमुख तकनीकों TEP रिपेयर, TAP/TEP रिपेयर, IPOM रिव्यू रिपेयर, E-TEP रिपेयर और लिचेंस्टीन रिपेयर का लाइव प्रदर्शन किया गया। इन वास्तविक सर्जरी के दौरान प्रतिभागियों को तकनीकों की सूक्ष्मताओं को बारीकी से समझने और अनुभव करने का अवसर मिला।
एशिया पैसिफिक हर्निया सोसाइटी (APHS) के अध्यक्ष और वरिष्ठ सर्जन डॉ. राजेश खुल्लर द्वारा एक विशेष वीडियो सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में इनगुइनल, वेंट्रल और इनसिजनल हर्निया की जटिल अवस्थाओं के प्रभावी प्रबंधन और समय पर निदान की महत्ता को रेखांकित किया गया। उन्होंने कहा, “हर्निया की सही पहचान और समय पर की गई सर्जरी से न केवल बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है, बल्कि रोगी की जीवन गुणवत्ता भी बेहतर की जा सकती है।”
कार्यशाला के दौरान केस-आधारित डेमोन्स्ट्रेशन भी हुए, जिनमें केस की प्रकृति, लोकेशन और जटिलता के अनुसार उपयुक्त सर्जिकल तकनीक के चयन की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया। वर्कशॉप के अंतिम चरण में केस क्लोजिंग, पोस्ट-ऑप केयर और संभावित जटिलताओं पर भी चर्चा की गई। समापन पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए।
वर्कशॉप के कन्वीनर और विशेष जुपिटर हॉस्पिटल, इंदौर के डायरेक्टर रोबोटिक, लैप्रोस्कोपिक, थोरेको-वैस्कुलर एंड जनरल सर्जरी विभाग डॉ. अमिताभ गोयल ने कहा-“इस वर्कशॉप का उद्देश्य केवल सर्जनों को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित करना नहीं था, बल्कि आमजन को यह समझाना भी था कि हर्निया एक सामान्य समस्या नहीं है। पेट की दीवार की कमजोरी से उत्पन्न यह स्थिति समय रहते पहचान ली जाए तो पूरी तरह ठीक की जा सकती है।
हल्की सूजन या उभार को नज़रअंदाज़ न करें, क्योंकि आज की आधुनिक तकनीकों से हर्निया का इलाज तेज़, सुरक्षित और कम दर्द वाला है।” उन्होंने यह भी जोड़ा, “समय पर की गई सर्जरी से जटिल हर्निया से बचा जा सकता है। यह वर्कशॉप एक मजबूत कदम है, जिससे युवा चिकित्सकों को तकनीकी दक्षता के साथ-साथ मानवीय दृष्टिकोण से भी सशक्त बनाया जा सके।”