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Indore news : सार्वजनिक उद्यान की जमीन पर अवैध निर्माण और ध्वनि प्रदूषण के संबंध में कानूनी कार्यवाही की मांग

इंदौर Published by: paliwalwani Updated Wed, 01 May 2024 01:06 AM
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इंदौर.

श्री मंगल नगर कॉलोनी के भूखंड क्रमांक 361 के सामने स्थित आवंटित सार्वजनिक उद्यान की जमीन पर कुछ लोगों द्वारा अवैध कब्जा कर स्थाई निर्माण किया गया है. यह निर्माण मंदिर, व्यवसायिक प्रतिष्ठान और अन्य गतिविधियों के लिए उपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा, यहाँ दिन-रात लाउडस्पीकर बजाए जा रहे हैं, जिससे आसपास के रहवासियों को अत्यधिक परेशानी हो रही है.

यह उल्लेखनीय है कि इस मामले में पूर्व में कई बार शिकायतें की गई हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. यह स्थिति निम्नलिखित कानूनों और नियमों का उल्लंघन करती है और कानूनी प्रावधानों के तहत तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक है.

भारतीय दंड संहिता की धारा 268 के तहत, यह स्थान सार्वजनिक उपद्रव (पब्लिक न्यूसेंस) की श्रेणी में आता है, जिसके लिए जुर्माना और कारावास दोनों का प्रावधान है.

भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 133 (सार्वजनिक उपद्रव और असुविधा): इस धारा के अनुसार, किसी भी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक जगह पर अनाधिकृत निर्माण और गतिविधियां करना गैरकानूनी है.

भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 290 के तहत सार्वजनिक उपद्रव करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है.

मध्य प्रदेश सहकारी संस्था अधिनियम, 1960 की धारा 63 के तहत संबंधित सहकारी संस्था द्वारा अनुमति प्राप्त किए बिना भूमि का अनधिकृत उपयोग गैरकानूनी है. इस संबंध में सहकारिता विभाग से कार्रवाई की अपेक्षा है.

पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 3 और 15 के तहत उद्यान की जमीन पर अवैध निर्माण और ध्वनि प्रदूषण पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला अपराध है और उपयुक्त जुर्माना लगाया जा सकता है.

मध्य प्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम, 1956 की धारा 182 के तहत अवैध निर्माण के लिए शासकीय जमीन पर कब्जा किए जाने पर दंड लगाया जा सकता है.

मध्य प्रदेश नगरीय क्षेत्र विनियम निगम अधिनियम, 1959 की धारा 305 के अनुसार, बिना अनुमति के निर्माण पर प्रतिबंध है और इसके उल्लंघन पर जुर्माना और कारावास दोनों का प्रावधान है.

भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 26 के अनुसार, सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण एक अपराध है.

मध्य प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1956 की धारा 262 के अनुसार, किसी भी भवन का निर्माण केवल नगर निगम के अनुमोदन के बाद ही किया जा सकता है. इस प्रकरण में, निर्माण पूरी तरह से अनधिकृत है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को.

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