एप डाउनलोड करें

Indore News : दुनिया के सारे विवादों का जन्म लक्ष्मण रेखा के उल्लंघन से : मकथा में मानस मर्मज्ञ डॉ. सुरेश्वरदास के आशीर्वचन : आज राम राज्याभिषेक

इंदौर Published by: sunil paliwal-Anil Bagora Updated Tue, 09 Jan 2024 01:28 AM
विज्ञापन
Follow Us
विज्ञापन

वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

इंदौर :

मानस का हर प्रसंग अनुकरणीय और अद्वितीय है। सीताहरण का प्रसंग समाज को मर्यादित रहने का संदेश देता है। भारतीय समाज मर्यादा की लक्ष्मण रेखा से ही सुशोभित है। संयुक्त परिवार लक्ष्मण रेखा की मर्यादाओं में गूंथे समाज की पहचान है। विवादों का जन्म तभी होता है जब लक्ष्मण रेखा लांघी जाती है। रामायण में इस तरह के अनेक प्रसंग हैं जहां जीवन जीने की कला सीखने को मिलती है।

बर्फानी धाम के पीछे स्थित गणेश नगर में माता केशरबाई रघुवंशी धर्मशाला परिसर के शिव-हनुमान मंदिर की साक्षी में चल रही रामकथा में उक्त दिव्य विचार मानस मर्मज्ञ आचार्य डॉ. सुरेश्वरदास रामजी महाराज ने भगवान राम के वननवास से जुड़े विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या करते हुए व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व हंसदास मठ के महांडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य में तुलसीराम-सविता रघुवंशी, अमरसिंह पटेल, नारायणसिंह नर्मदा, पप्पू मालवीय, पारस जैन, तनूज गोयल, भानूप्रतापसिंह मौर्य के साथ राजेन्द्र पजरे, सुरेश वाघ, अनिल पटेल, ठा. गजेन्द्रसिंह चंदेल, कुं. सचिनसिंह राजपूत, नाना यादव, करणसिंह रघुवंशी आदि ने व्यासपीठ एवं रामचरित मानस का पूजन किया।

संयोजक रेवतसिंह रघुवंशी ने बताया कि रामकथा का यह संगीतमय दिव्य अनुष्ठान पुष्प दंतेश्वर महादेव मंदिर एवं स्वाध्याय महिला भजन मंडली के तत्वावधान में जारी है। कथा में  मंगलवार 9 जनवरी को रावण वध एवं रामराज्याभिषेक प्रसंगों की कथा  के साथ समापन होगा । यज्ञ-हवन भी होंगे। 

विद्वान वक्ता ने कहा कि भारतीय समाज मर्यादाओं और आत्मसम्मान में जीता है। हमारे परिवार मर्यादाओं की लक्ष्मण रेखा में ही पल्लवित हो रहे है। सीताहरण का प्रसंग इस बात को रेखांकित करता है कि जब तक हम मर्यादा की लक्ष्मण रेखा में रहेंगे, हमारा आत्मसम्मान भी सुरक्षित रहेगा। दुनिया के सारे विवादों का जन्म लक्ष्मण रेखा के उल्लंघन से ही होता है। हनुमानजी भक्त भी हैं और भगवान भी। हनुमानजी के बिना रामजी अधूरे हैं और रामजी के बिना हनुमानजी।

वनवासकाल में हनुमानजी ने रामजी के सेनापति से लेकर सेवक और दूत सहित अनेक निष्ठापूर्ण सेवाएं दी हैं। उनकी सेवा में संपूर्ण समर्पण और त्याग का भाव रहा। बल, बुद्धि और विद्या के मामले में हनुमानजी की कोई जोड़ नहीं। रामजी को भगवान राम बनाने में हनुमानजी का ही योगदान संसारी दृष्टि से माना गया है। शबरी के जूठे बैर खाकर भगवान ने प्रेम और सौजन्यता की पराकाष्ठा प्रकट की है। निष्काम और निश्छल प्रेम हो तो भगवान भी हमारी कुटिया में आकर जूठे फल स्वीकार कर लेंगे, यही इस प्रसंग का अनुकरणीय भाव है।

और पढ़ें...
विज्ञापन
Next