इंदौर :
मंथरा आज भी हमारे अंदर, हमारे घर में और समाज में जिंदा है। मंथरा को हम अपनी सास, ननद और पड़ोसन में खोजने के बजाय पहले अपने भीतर ही खोजें। मंथरा प्रवृत्ति है। भगवान राम से प्रार्थना करें कि रावण, कंभकर्ण, मंथरा और मेघनाद जैसी जो प्रवृत्तियां आज भी समाज में जिंदा हैं उन्हें जल्द से जल्द खत्म करें, क्योंकि ये सभी प्रवृत्तियां मेरे हृदय रूपी आपके मंदिर में दिनदहाड़े घुसपैठ कर बैठ गई है।
राग-द्वेष, मोह-माया और काम-क्रोध जैसे रावण के रिश्तेदार इस हृदय में घुसकर अशांति फैला रहे हैं। अतः इन्हें तुरंत नष्ट करें। बाहर का रावण तो हम दशहरे पर हर साल जला देते हैं, लेकिन जब तक अंदर का रावण नहीं मरेगा, तब तक राम राज्य की स्थापना सार्थक नहीं हो पाएगी।
युग तुलसी रामकिंकर महाराज की उत्तराधिकारी, रामायणम अयोध्या की प्रमुख दीदी मां मंदाकिनी ने सोमवार को स्कीम 51 स्थित माता मंदिर बगीचे में पांच दिवसीय राम कथा महोत्सव के दूसरे दिन उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व आयोजन समिति की ओर से वरिष्ठ समाजसेवी प्रेचमंद गोयल के मार्गदर्शन में पार्षद पराग कौशल, गोविंदसिंह पंवार, गिरेन्द्रसिंह भदौरिया, सुरेन्द्र वाजपेयी, अनूप जोशी, अरविंद गुप्ता, लोकेश अवस्थी, राहुल लांभाते, अमित बंटू शुक्ला एवं आचार्य श्री अंकित व्यास सहित सैकड़ों बंधुओं ने दीदी मां का स्वागत कर रामचरित मानस का पूजन किया।
दीदी मां ने कहा कि वे अपने गुरू युग तुलसी रामकिंकर महाराज के जन्मशती महोत्सव के अवसर पर देशभर से सवा अरब रामनाम लिखी पुस्तिकाएं अयोध्या ले जाकर उनकी समाधि पर समर्पित करेंगी और वहां प्रार्थना करेंगी कि देश के इन लाखों भाई-बहनों की भावना के अनुरूप इनके अंतर्मन से असंतों या दुष्टों की इन प्रवृत्तियों को खत्म करें। संयोगवश रामकिंकर महाराज का जन्मशती महोत्सव 22 जनवरी को ही अयोध्या में मनाया जाएगा।
दीदी मां के आव्हान पर सोमवार को भी सैकड़ों बच्चों ने पुस्तिकाओं में राम नाम लेखन का अभियान चलाया। संगम नगर स्थित जैन मंदिर के पास संत निवास पर आसपास की कालोनियों के बच्चों ने जमा होकर राम नाम का लेखन किया। दीदी मां ने स्कीम नं. 51 पर धर्मसभा में भी श्रद्धालुओं का आव्हान किया कि वे राम नाम का लेखन करें। उन्होंने कहा कि यदि भरतजी अयोध्या में होते तो मंथरा अपने मंसूबे में कभी कामयाब नहीं हो पाती।
दुनिया में सबसे बड़ा अभिशाप दरिद्रता का माना जाता है। राम राज्य का मतलब यही हुआ कि कोई भी व्यक्ति ऐसा न हो जिसके पास रहने के लिए मकान, पहनने के लिए वस्त्र और खाने के लिए भोजन न हो। यदि दरिद्रता अभिशाप है तो संपन्नता वरदान होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। मालामाल तो वही हो सकते हैं जिनके पास राम नाम की अक्षय पूंजी हो।
उल्लेखनीय है कि दीदी मां पिछले कई दिनों से देश के विभिन्न शहरों का भ्रमण कर वहां राम नाम लेखन का अभियान चला चुकी हैं। इसी क्रम में उनकी इंदौर यात्रा के दौरान भी सैकड़ों भक्त प्रतिदिन राम नाम का लेखन कर रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि 22 जनवरी को अयोध्या में सवा अरब राम नाम लेखन की पुस्तिकाएं रामकिंकर महाराज की समाधि पर समर्पित की जाएं। संयोजक अनूप जोशी एवं अरविंद गुप्ता ने बताया कि स्कीम 51 स्थित माता मंदिर बगीची में दीदी मां के सानिध्य में राम