इंदौर.
इंदौर नगर पालिका निगम में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है, जो ड्रेनेज विभाग से जुड़ा हुआ है. इस घोटाले में 11 करोड़ रुपए के फर्जी बिलों के जरिए पैसा दूसरे खाते में ट्रांसफर किया गया. यह मामला ऑडिट रिपोर्ट और जांच-पड़ताल के बाद उजागर हुआ, जिसने निगम के भीतर की गंभीर अनियमितताओं को सामने लाया.
आरोप लगाए गए है कि मेसर्स नींव कंस्ट्रक्शन के संचालक ने 185 बिल बताए गए जिनमें से 169 बिल फर्जी निकले. फर्जी बिलों से 11 करोड़ रुपए के ट्रांजेक्शन सामने आए. जांच में यह भी सामने आया कि यह कंपनी पहले से ही ब्लैकलिस्ट में शामिल थी. दरअसल नियमों मे साफ़ आदेश है कि निगम को 2और ठेकेदारों को 6-12तक जीएसटी जमा करना होता है.
वहीं, भुगतान प्रक्रिया में ठेकेदारों ने उल्ट पुल्ट कर जमा करने वाली राशि हड़प ली और फर्जी दस्तावेज बनाकर ऑर्डर के माध्यम से लाखों रुपये के पैसे अपने नाम कर लिए. शिकायत के बाद निगम ने एस.आई.टी गठित करने की मांग रखी है, और पुलिस द्वारा अब अन्य ठेकेदारों की जांच की बात भी सामने आ रही है.
घोटाले के खुलासे के बाद, नगर निगम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एमजी रोड थाने में शिकायत दर्ज कराई. जांच में ड्रेनेज विभाग से जुड़े नींव कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर मोहम्मद साजिद को मुख्य आरोपी माना गया और उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है. डीसीपी हंसराज सिंह ने बताया कि यह केस नगर निगम के अधिकारियों की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है और जांच आगे बढ़ रही है.
यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी इंदौर नगर पालिका निगम में 100 करोड़ रुपए से अधिक के फर्जी बिलों से जुड़ा एक घोटाला सामने आया था. उस मामले में मुकदमा दर्ज कर कई, आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. ये घटनाएं निगम में बार-बार होने वाली वित्तीय अनियमितताओं की ओर इशारा करती हैं.
निष्कर्ष… इस घोटाले का खुलासा ऑडिट और जांच प्रक्रिया से हुआ, जो दर्शाता है कि व्यवस्था में कुछ निगरानी तंत्र मौजूद हैं. फिर भी, यह जरूरी है कि प्रशासन ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई करे और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए. यह न केवल जनता के भरोसे को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि नगर निगम की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए भी आवश्यक है.