इंदौर :
परशुराम महासभा के प्रदेशाध्यक्ष पं. गोविंद शर्मा एवं प्रदेश प्रभारी पं. संजय मिश्रा ने पालीवाल वाणी को बताया कि जानापाव को लेकर पिछले कई वर्षों से केन्द्र एवं राज्य सरकार अनेक घोषणाएं कर चुकी है, लेकिन उनमें से अधिकांश घोषणाएं केवल कागजी साबित हुई हैं। महासभा की ओर से केन्द्र सरकार को प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों में स्पष्ट प्रमाण दिए गए हैं कि जमदग्नि ऋषि ने कठोर तपस्या करके सर्वश्रेष्ठ ऋषि मुनि का सम्मान प्राप्त किया और अपने इसी जानापाव आश्रम में शिवलिंग की स्थापना की, जो आज जनकेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
इन्हीं जमदग्नि ऋषि एवं काशी देश के महाराज रेणु राजा की पुत्री रेणुका देवी से विवाह के उपरांत बैसाख शुक्ल अक्षय तृतीया तिथि को बालक चिरंजीवी का जन्म हुआ, जो बाद में भगवान परशुराम बने। भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। हैहय साम्राज्य के राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन का ऋषि जमदग्नि से हुआ घटनाक्रम जानापाव पर्वत एवं महिष्मति राज्य, जो अब महेश्वर हो गया है, नर्मदा के तट पर स्थित है। राजा सहस्त्रबाहु एवं परशुराम का युद्ध प्रसंग भी इसी पर्वत का है।
इन सभी तथ्यों का प्रामाणिक विवरण परशुराम महासभा ने केन्द्र सरकार के शोध दल को भी समय-समय पर प्रस्तुत किया है, लेकिन इतना सब करने के बावजूद जानापाव तीर्थ स्थल के विकास की रफ्तार जस की तस बनी हुई है। स्थानीय ब्राह्मण संगठनों ने अवश्य आर्थिक सहयोग एकत्र कर वहां भगवान परशुराम का मंदिर बनाने का काम शुरू कर दिया है।
महासभा के महामंत्री पं. धरणीधरण मिश्र, प्रदेश प्रभारी शैलेन्द्र शर्मा, आचार्य रामनारायणदास महाराज, उपाध्यक्ष पं. गणेश शास्त्री, पं. विकास शर्मा एवं युवा परिषद के अनिरुद्ध शर्मा ने मांग की है कि जानापाव को जल्द से जल्द ब्रह्मतीर्थ घोषित किया जाए। इस मांग के समर्थन में महासभा ने काफी मेहनत एवं पड़ताल के बाद तथ्यात्मक विवरण एकत्र कर केन्द्र सरकार की समिति के समक्ष कई वर्ष पहले प्रमाण सहित विवरण प्रस्तुत किए हैं, लेकिन अब तक कोई सार्थक कार्रवाई नहीं होने से विप्र संगठनों में रोष बढ़ता जा रहा है।
राज्य सरकार ने भी केवल आश्वासन ही दिए हैं। जानापाव को तीर्थ स्थल एवं ब्रह्मतीर्थ के रूप में विकसित करने की दिशा में अब तक न तो कोई पहल की गई है और न ही उसके आसार नजर आ रहे हैं। इस स्थिति में राज्य के सभी प्रमुख विप्र संगठन कड़े आंदोलनात्मक कदम उठाने पर बाध्य हो सकते हैं।