एप डाउनलोड करें

9 दिवसीय जनजातीय फूड व जड़ी-बूटी मेले का भूमिपूजन संपन्न : 11 से 19 फरवरी तक आयोजित होगा मेला

इंदौर Published by: sunil paliwal-Anil paliwal Updated Thu, 19 Jan 2023 01:58 AM
विज्ञापन
Follow Us
विज्ञापन

वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

  • जनजातीय समाज के पास जीने की कला, पारंपरिक चिकित्सा, औषधीय ज्ञान व जड़ी-बूटियों के साथ व्यंजनों का अद्भूत खजाना है- पटेल

  • विद्वान पंडि़तों के सान्निध्य में वैदिक मंत्रोउच्चार के बीच हुआ कार्यक्रम, जनजातीय फूड फेस्टिवल में आदिवासी क्षेत्रों के व्यंजनों के साथ ही जड़ी-बूटी को जानने का अवसर मिलेगा, 11 से 19 फरवरी 2023 तक आयोजित होगा मेला

इंदौर :

जनजातीय संस्कृति और कला का संरक्षण भारतीयता की मौलिकता का संरक्षण है। इनके उत्पादों के संरक्षण के प्रयासों में सहयोग के लिए समाज आगे आये। उन्होंने कहा कि कला की रचना दिल, दिमाग और हाथ के समन्वय का अदभुत संयोग होती है। यह प्रकृति की अद्भुत देन है। वंचित वर्गों को मिली प्रकृति की अदभुत कला रूपी देन के संरक्षण के प्रयास व्यापक स्तर पर किए जाने चाहिए। इसका संरक्षण और उत्साहवर्धन करना हम सबका कत्र्तव्य है।

उक्त विचार लालबाग परिसर में बुधवार को आयोजित जनजातीय फूड व जड़ी-बूटी मेले के भूमिपूजन समारोह में मेला समिति अध्यक्ष व सांसद गजेंद्रसिंह पटेल ने सभी जनमानस को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने जनजातीय व्यंजनों व जड़ी-बूटी की महत्ता भी इस अवसर पर बताई। उन्होंने जनजातीय व्यंजन व जड़ी-बूटी का महत्व बताते हुए कहा कि जनजातीय समाज की महानता, यथार्थता, शाश्वत मूल्यों और मौलिक सादगी से निर्देशित होना है।

जनजातीय समाज अपने मौलिक कौशल, स्वाभाविक सादगी, बोली, वेशभूषा और परंपरा में समय अनुकूल रंग भरते हुए लोक-संस्कृति को बचाए रखने के लिए बधाई के पात्र है। जनजातीय समाज के पास समूह में जीने की कला, पारंपरिक चिकित्सा, औषधीय ज्ञान और जड़ी-बूटियों का अदभुत खज़ाना है।

सदी की सबसे बड़ी आपदा कोविड ने जीवन की इसी कला की महत्ता को स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि गिलोय और जड़ी-बूटियों के खज़ाने से बने काढ़े ने आपदा के समय जीवन रक्षा में बहुत योगदान दिया है। नारायण मानव उत्थान समिति एवं भारतीय विपणन विकास केंद्र एवं मेला संयोजक पुष्पेंद्र चौहान एवं बलराम वर्मा ने बताया कि 9 दिवसीय जनजातीय फूड़ फेस्टिवल मेले का भूमिपूजन विद्वान पंडि़तों के सान्निध्य में संपन्न हुआ। शहर की जनता को जनजातीय व्यंजनों व जड़ी-बूटियों से रूबरू कराने के उद्देश्य से यह मेला आयोजित किया जा रहा है।

11 से 19 फरवरी 2023 तक लालबाग परिसर में लगने वाले इस मेले सभी राज्यों के व्यंजनों का लुत्फ यहां इन्दौरी ले सकेंगे साथ ही उन्हें हमारे देश की जड़ी-बूटी को भी जानने व समझने का अवसर मेले में मिलेगा। 11 से 19 फरवरी तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी यहां दी जाएगी। मेले में मध्यप्रदेश के जनजातीय मूल क्षेत्र खरगोन, खंडवा, बड़वानी, झाबुआ, धार आदि से बड़ी संख्या में प्रतिनिधि भी इस अवसर पर बड़ी संख्या में शामिल होंगे।

बुधवार को आयोजित भूमिपूजन कार्यक्रम में मधु वर्मा, भारत रघुवंशी, योगेश गेंदर, शानू शर्मा, सतनाम सिंह,  संजय वर्मा, गौतम शर्मा, योगेश तोरिया, जयश्री जातेगांवकर, मेघा बर्वे, शुभांगी पारूलकर, राधा तीर्थथानी, आरती ठाकुर, मानसी नाटकर, आशीष खेड़़े, रामपालसिंह चौहान, डॉ. निशांत खरे, भारतभूषण  ठाकुर, संजय वाघ, जुगून कुशवाह, कृष्णकांत पारगिर, संजय परियानी, लोकेश खिंची, आशीष दुबे, राजेश सेठिया सहित बड़ी संख्या में वरिष्ठजन मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन गौतम शर्मा ने किया एवं आभार अश्विनी शुक्ला ने माना।

चित्र : लालबाग पैलेस में आयोजित जनजातीय फूड़ फेस्टिवल व जड़ी-बूटी मेला का भूमिपूजन करते अतिथि।

और पढ़ें...
विज्ञापन
Next