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श्री गणेश जी के स्वागत के लिए भक्तगण पूरी तरह से तैयार

इंदौर Published by: Ayush Paliwal Updated Sun, 04 Sep 2016 04:42 PM
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ज्योतिषाचार्य जयप्रकाश वैष्णव ने पालीवाल वाणी ब्यूरों को बताया कि  आज 5 सितंबर को गणेश चतुर्थी है, जिसके लिए पूरे देश में जोर.शोर से तैयारी चल रही है। बुद्धि, ज्ञान और विघ्नविनाशक के रूप में पूजे जाने वाले श्री गणेश जी के स्वागत के लिए इस समय उनके भक्तगण पूरी तरह से तैयार हैं। पंडितों के मुताबिक इस बार चतुर्थी वाले दिन काफी अच्छे संयोग बन रहे हैं। रविवार को ही चतुर्थी शाम 6 बजकर 54 मिनट से लग जायेगी जो कि आज 5 सितंबर को रात 9 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी। इस कारण आप आज सोमवार को सुबह से लेकर रात 21.10 के बीच में बप्पा की पूजा और स्थापना कर सकते है। वैसे पूजा का सबसे अच्छा वक्त सोमवार को दिन के 11 बजे से लेकर दोपहर के 1 बजकर 38 मिनट तक का है। आज 5 सितंबर को गणेश चतुर्थी है, जिसके लिए पूरे देश में जोर.शोर से तैयारी चल रही है। बुद्धिए ज्ञान और विघ्नविनाशक के रूप में पूजे जाने वाले श्री गणेश जी के स्वागत के लिए इस समय उनके भक्तगण पूरी तरह से तैयार हैं। पंडितों के मुताबिक इस बार चतुर्थी वाले दिन काफी अच्छे संयोग बन रहे हैं। रविवार को ही चतुर्थी शाम 6 बजकर 54 मिनट से लग जायेगी जो कि 5 सितंबर को रात 9 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी।

पूजा और स्थापना

 पूजा का सबसे अच्छा वक्त सोमवार को दिन के 11 बजे से लेकर दोपहर के 1 बजकर 38 मिनट तक का है। इस दिन उपवासक को प्रातरूकाल में जल्द उठना चाहिए,सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नान और अन्य नित्यकर्म कर, सारे घर को गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए। स्नान करने के लिये भी अगर सफेद तिलों के घोल को जल में मिलाकर स्नान किया जाता है। तो शुभ रहता हैण् प्रात. श्री गणेश की पूजा करने के बाद, दोपहर में गणेश के बीजमंत्र ऊँ गं गणपत ये नमरू का जाप करना चाहिए। आज शास्त्रों में इस चतुर्थी के दिन किए गए व्रत और पूजन का विशेष महत्व बतलाया गया है। गणेश चतुर्थी के मौके पर भगवान गणपति की प्रतिमा को घर लाकर हम पूजा की शुरुआत करते हैं। इस दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को घर लाना सबसे पवित्र समझा जाता है। जब आप बप्पा की मूर्ति को घर लाएं, उससे पहले इन चीजों को तैयार रखें। अगरबत्ती और धूप, आरती थाली, सुपारी, पान के पत्ते और मूर्ति पर डालने के लिए कपड़ा, चंदन के लिए अलग से कपड़ा और चंदन।

आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी

आज मालूम हो कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी के 10 दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है। विघ्नहर्ता की दिल से पूजा करने से इंसान को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है और मुसीबतों से छुटकारा मिलता है। अगर इस दिन की पूजा सही समय और मुहूर्त पर की जाए तो हर मनोकामना की पूर्ति होता है। ऐसा माना जाता है कि गणपति जी का जन्म मध्यकाल में हुआ था इसलिए उनकी स्थापना इसी काल में होनी चाहिए। इस महापर्व पर लोग प्रातः काल उठकर सोने, चांदी, तांबे और मिट्टी के गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर षोडशोपचार विधि से उनका पूजन करते हैं। पूजन के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर ब्राह्मणों को दक्षिणा देते हैं।मान्यता के अनुसार इन दिन चंद्रमा की तरफ नही देखना चाहिए। आज इस पूजा में गणपति को 21 लड्डुओं का भोग लगाने का विधान है। इसके पश्चात भगवान श्री गणेश धूप, दूर्वा, दीप, पुष्प, नैवेद्ध व जल आदि से पूजन करना चाहिए। और भगवान श्री गणेश को लाल वस्त्र धारण कराने चाहिए। पूजा में घी से बने 21 लड्डूओं से पूजा करनी चाहिए। इसमें से दस अपने पास रख कर, शेष सामग्री और गणेश मूर्ति किसी ब्राह्मण को दान-दक्षिणा सहित दान कर देनी चाहिए। साल भर में पड़ने वाली चतुर्थियों में इस दिन मनाई जाने वाली चतुर्थी को सबसे बड़ी चतुर्थी माना जाता है। आज भक्त गणपति को अपने घर में लाने के लिए पूरी श्रद्धा से इंतजार करते हैं। 

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