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24 श्रेणी में आज सामुहिक करवाचौथ का आयोजन

इंदौर Published by: Paliwalwani Beuro Updated Thu, 29 Oct 2015 07:08 PM
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इंदौर/संगीता पालीवाल । पालीवाल समाज 24 श्रेणी के अध्यक्ष श्री मुकेश जोशी, सचिव घनश्याम पालीवाल, कोषमंत्री रमेश उपाध्याय ने पालीवाल वाणी को बताया कि मातृशक्ति लिए कई सामाजिक, सांस्कृतिक आयोजन की कड़ी में मातृशक्ति का पर्व करवा चौथ का कार्यक्रम आज पालीवाल धर्मशाला 24 श्रेणी, अन्नपूर्णा मंदिर 152 इमली बाजार इंदौर पर आयोजित किया जा रहा है। अभी तक 37 माहिलाओं की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। जिसमें इंदौर, भोपाल, देवास, मुबंई से भी करवा चैथ के लिए मातृशक्ति शामिल होने के लिए पधार रही है। जिसमें कई समाजबंधुओं की मौजूदगी रहेगी। मातृशक्तियों ने बाजार से भी पूजन सामग्री और करवा खरीदने के लिए माहिलाओं का हुजूम उमड़ा पड़ा।

करवा चैथ पूजा मुहूर्त

करवा चौथ पूजा मुहूर्त = १७:४६ से १९:०३
अवधि = १ घण्टा १६ मिनट्स
करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय = २०:४२
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ = ३०/अक्टूबर/२०१५ को ०८:२४ बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त = ३१/अक्टूबर/२०१५ को ०६:२५ बजे

करवा चैथ की विशेषता

करवा चैथ का व्रत कार्तिक हिन्दू माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दौरान किया जाता है। अमांत पञ्चाङ्ग जिसका अनुसरण गुजरात, महाराष्ट्र, और दक्षिणी भारत में किया जाता है, के अनुसार करवा चैथ अश्विन माह में पड़ता है। हालाँकि यह केवल माह का नाम है जो इसे अलग-अलग करता है और सभी राज्यों में करवा चैथ एक ही दिन मनाया जाता है।

पति की दीर्घ आयु के लिए विवाहित महिलाएँ रखेगी व्रत

करवा चैथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी, जो कि भगवान गणेश के लिए उपवास करने का दिन होता है, एक ही समय होते हैं। विवाहित महिलाएँ पति की दीर्घ आयु के लिए करवा चैथ का व्रत और इसकी रस्मों को पूरी निष्ठा से करती हैं। विवाहित महिलाएँ भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं। करवा चैथ का व्रत कठोर होता है और इसे अन्न और जल ग्रहण किये बिना ही सूर्योदय से रात में चन्द्रमा के दर्शन तक किया जाता है।

करवा चैथ के दिन को करक चतुर्थी

करवा चैथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण, जो कि अर्घ कहलाता है, किया जाता है। पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान में भी दिया जाता है। करवा चैथ दक्षिण भारत की तुलना में उत्तरी भारत में ज्यादा प्रसिद्ध है। करवा चैथ के चार दिन बाद पुत्रों की दीर्घ आयु और समृद्धि के लिए अहोई अष्टमी व्रत किया जाता है।

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