पाकिस्तान इन दिनों गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है और इसे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अगले दो सालों के लिए 51.6 बिलियन डॉलर यानी लगभग 3,843 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद की जरूरत है.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमानों पर कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की सकल बाहरी वित्तपोषण मांग 2021-22 में 23.6 बिलियन डॉलर यानी लगभग 1,764 करोड़ रुपये और 2022-23 में 28 बिलियन डॉलर है. पाकिस्तान के अंग्रेजी दैनिक अखबार द न्यूज इंटरनेशनल ने खबर दी है कि मौजूदा 6 बिलियन डॉलर एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी के तहत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के समर्थन के बिना पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट पैदा होगा.
The News International के अनुसार पाकिस्तान इन दिनों एक गहरे आर्थिक संकट की चपेट में है. इमरान खान की सरकार को दो साल की अवधि के भीतर 51.6 बिलियन डॉलर की बाहरी मदद की जरूरत है.
विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक पहले ही पाकिस्तान की कई बड़ी योजनाओं को आर्थिक मदद देने पर रोक लगा चुके हैं. लेकिन ये संस्थान दो बहुपक्षीय लेनदार परियोजना ऋण को जारी खरेंगी. लेकिन ये प्रोजेक्ट्स पाकिस्तान की जरूरतों को पूरा करने में ऊंट के मुंह में जीरा साबित होंगी. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पाकिस्तानी अधिकारी अब बाहरी फाइनेंस जरूरतों के अंतर को पाटने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ समझौते के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं ताकि मुद्रा कोष द्वारा लगाई रोक हट जाए और पाकिस्तान को विदेशी आर्थिक मदद मिलती रहे.
विश्व बैंक ने हाल ही में एक रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि पाकिस्तान सबसे अधिक विदेशी कर्ज वाले शीर्ष दस देशों की सूची में शामिल हो गया है. इस पर द न्यूज इंटरनेशनल अखबार अपनी एक रिपोर्ट में इंटरनेशनल डेट स्टैटिस्टिक्स 2022 का हवाला देते कह चुका है कि पाकिस्तान को विदेशी फंड के रूप जो आर्थिक मदद मिलती है उसकी ब्याज दरें बहुत ही असमान हैं.
विश्व बैंक की एक संस्था है ऋण सेवा निलंबन पहल (Debt Service Suspension Initiative). इस संस्था में अन्य देशों को कर्ज दिया जाता है, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है. विश्व बैंक की रिपोर्ट ने यह भी बताया कि पाकिस्तान के विदेशी कर्ज में 8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. एक अन्य रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इमरान सरकार ने विश्व बैंक से 442 मिलियन डॉलर उधार लिए थे.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान से टैक्स सिस्टम की खामियों को दूर करने और विभिन्न जीएसटी छूटों और दरों को 17 प्रतिशत की मानक दर के साथ एक सिस्टम में लाने के लिए कहा था. पाकिस्तान आईएमएफ की इस सलाह का विरोध कर रहा है क्योंकि उसका मानना है कि यह कदम कृषि क्षेत्र को और पीछे धकेल देगा.