नई दिल्ली :
एंटीबायोटिक्स दवाओं का इस्तेमाल बैक्टीरिया जनित बीमारियों को खत्म करने के लिए किया जाता है. लेकिन जो बीमारी वायरस या फंगस से होती है, उनमें भी धड़ल्ले से लोग एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करते हैं. यहां तक कि दवा दुकान में केमिस्ट भी एंटीबायोटिक अपने मन से दे देते हैं. इसका नतीजा यह हो रहा है कि एंटीबायोटिक्स दवाइयां अपना असर खोने लगी है.
जब वास्तव में शरीर को एंटीबायोटिक्स दवा की जरूरत होती है तो वह बेअसर होने लगती है. इन हालात को देखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. हेल्थ मिनस्ट्री ने देश के सभी डॉक्टरों से कहा है कि वे जब भी एंटीबायोटिक्स दवाइयां किसी को लिखें तो इसका कारण और इसके परिणाम के बारे अनिवार्य रूप से बताएं. इतना ही नहीं अगर एंटीबायोटिक्स दवाएं लिखी है तो मरीज को सही तरीके से बताएं कि यह क्यों दी जा रही है.
हमारी सहयोगी वेबसाइट सीएनबीसी टीवी 18 द्वारा प्राप्त किए गए पत्र में स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने मेडिकल कॉलेजों के सभी डॉक्टरों से अपील कि है कि वे एंटीबायोटिक्स दवा लिखते समय अनिवार्य रूप से सावधानी बरते और जब मरीज को एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह दें तो यह अनिवार्य रूप से बताएं कि यह दवा किसलिए दी जा रही है और इसके क्या परिणाम होंगे. यह भी बताएं कि इस दवा को क्यों दी जा रही है और इसे कितने दिनों तक खाना चाहिए. यह बात सिर्फ डॉक्टरों पर ही लागू नहीं होती बल्कि फर्मासिस्ट यानी दवा दुकानदारों पर भी लागू होती है. हेल्थ सर्विस के डीज केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन आता है.
मेडिकल कॉलेजों को भेजे गए इस पत्र के प्रति सीएनबीसी टीवी 18 के पास भी मौजूद है. इस पत्र में कहा गया है कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल के अनुच्छेद एच और एच 1 का अक्षरशः पालन किया जाए जिसमें बिना डॉक्टरों की पर्ची से केमिस्ट द्वारा एंटीबायोटिक्स की बिक्री को प्रतिबंधित किया गया है. वहीं दवा लिखते समय डॉक्टरों के एंटीमाइक्रोबियल दवा देने के सभी कारणों और परिणामों के बारे में बताना अनिवार्य़ है. पत्र में यह भी कहा गया है कि एंटीबायोटिक्स दवाओं के गलत इस्तेमाल और जरूरत से अधिक इस्तेमाल इस दवा के बेअसर होने की प्रमुख वजहों में से है. हालांकि दशकों बाद कुछ एंटीबायोटिक्स के इजाद होने की जल्दी संभावना है, लेकिन अब भी यह पाइपलाइन में है. ऐसे में एंटीबायोटिक दवाओं का विवेकपूर्ण इस्तेमाल ही इसका एकमात्र विकल्प है.
एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) यानी एंटीबायोटिक दवाओं का बेअसर होना दुनिया भर के लिए बहुत बड़ी चुनौती है. पत्र में यह भी कहा गया है कि बैक्टीरियल एएमआर की वजह से 2019 में दुनिया में 12.7 लाख लोगों की मौत हो चुकी है और 49 लाख मौतों के लिए किसी न किसी तरह से ड्रग रेजिस्टेंस इंफेक्शन जिम्मेदार है. इससे अन्य कई तरह के संकट भी बढ़ गए हैं. एंटीबायोटिक्स के बेअसर होने के कारण इंफेक्शन लगने पर इसे ठीक होने में बहुत अधिक समय लग रहा है और मौत का जोखिम भी बढ़ता जा रहा है. जब किसी को वास्तव में बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है तो दवाओं के असरदार नहीं होने के कारण बीमारी को ठीक होने में बहुत समय लगता है.
●