प्रेगनेंसी के पहले ही दिन से अगर महिला किसी बारे में सबसे ज्यादा सोचती है तो वो है डिलीवरी. यानि हर महिला के मन में डिलीवरी को लेकर कई सवाल मन में उमड़ते हैं कि उसकी डिलीवरी नॉर्मल हो पाएगी या नहीं. ये सवाल डिलीवरी के करीब आते आते बड़े डर में तब्दील हो जाता है. लेकिन आज की मॉडर्न लाइफस्टाइल के चलते नॉर्मल डिलीवरी रेट कम होती जा रही है. डॉक्टर्स की माने तो पहले के मुकाबले अब महिलाएं कम शारीरिक काम करती है जिससे उनका शरीर नॉर्मल डिलीवरी के योग्य नहीं बन पाता इसलिए ज्यादातर महिलाओं की सी-सेक्शन के द्वारा डिलीवरी की जाती है.
इसे नॉर्मल डिलीवरी में सबसे ज्यादा मददगार माना जाता है. इस एक्सरसाइज को करने से हमारी पेल्विक मसल्स फ्लेक्सिबल होती है जिससे नॉर्मल डिलीवरी आसानी से होती है. इसे करने के लिए आप किसी दीवार का सहारा भी ले सकती है.
हाथों को सीधा रखते हुए आप पैरों को थोड़ा सा खोलकर खड़े हो और फिर कूल्हे के बल हवा में बैठने का प्रयास करें. इसी स्थिति 2 सेकंड तक रुके और फिर वापस स्ट्रेट खड़े हो जाए. ऐसा आप 10 मिनट के लिए रोजाना कर सकते हैं.
कीगल एक्सरसाइज भी नॉर्मल डिलीवरी के लिए एक बेहतरीन एक्सरसाइज है. इससे आपकी पेल्विक मसल्स फ्लेक्सिबल होती है. इससे गर्भावस्था के दौरान होने वाले तनाव को कम करने में मदद मिलती है.
इसे करने के लिए आप आरामदायक स्थिति में बैठें और आंखें बंद कर लें और अपने यूरिन का प्रेशर बनाकर उसे थोड़ी देर के लिए रोकों, इसी स्थिति में 3-5 सेकंड रहने की कोशिश करें और फिर उस प्रेशर को छोड़ दें. इस प्रक्रिया को भी 10 बार दोहराएं.
बटरफ्लाई को तितली आसन भी कहते है. इससे आपकी पेल्विक मसल्स को मजबूत बनाने में मदद मिलती है. जो नॉर्मल डिलीवरी के लिए तैयार होता है.
इसमें आप सीधा किसी फर्श पर बैठ जाएं और दोनों पैरों को पैरों के पंजों से जोड़ लें और दोनों हाथों से पैरों के पंजों को पकड़कर अपने पैरों को हिलाएं. इस आसन को भी आप 10 मिनट के लिए रोजाना कर सकती हैं.
इस समय योग और मेडिटेशन करने से भी आप मानसिक तौर पर मजबूत होती है. इससे आपको रिलैक्स रहने में मदद मिलती है और तनाव कम होता है. इससे आपको पीठ के दर्द और एंग्जायटी को कम करने में मदद मिलती है और आप मानसिक तौर पर डिलीवरी के लिए तैयार होती है.
रोजाना आधे घंटे की वॉक भी आपके लिए मददगार साबित होती है. आप तीसरी तिमाही में सुबह शाम आधे घंटे की वॉक कर सकती है. इससे आपको मजबूती मिलती है.
लेकिन ध्यान रखें कोई भी एक्सरसाइज किसी की मौजूदगी में ही करें साथ ही डॉक्टर की सलाह पर ही करें क्योंकि किसी खास केस में या हाई रिस्क मामलों में डॉक्टर एक्सरसाइज न करने की सलाह दे सकते है इसलिए किसी भी तरह की एक्सरसाइज को अपने डॉक्टर के परामर्श के बाद ही करें.