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Covid Update: कोरोना से संबंधित महत्वपूर्ण सवाल जवाब, जाने कोरोना मरीजों के लिए कब जरूरी है लैब टेस्ट और सीटी स्कैन?

स्वास्थ्य Published by: Paliwalwani Updated Sat, 22 May 2021 01:11 PM
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कोविड-19 महामारी से पीड़ित मरीज को इलाज के दौरान कई तरह की जांच करवाने की जरूरत पड़ती है जो उनके लिए तनावपूर्ण हो सकता है। इस बारे में डॉक्टर्स ने कोरोना मरीजों के लिए जरूरी लैब टेस्ट और सीटी स्कैन के बारे में कई अहम बातें बताईं :

RT-PCR या रैपिड एंटीजन टेस्ट का रिजल्ट अगर पॉजिटिव आए तो कौन-कौन से ब्लड टेस्ट करवाने की जरूरत होती है?

रैपिड एंटीजन टेस्ट जब पॉजिटिव रिजल्ट देते हैं तो वो पूरी तरह विश्वसनीय होते हैं, लेकिन वे अक्सर फॉल्स नेगेटिव रिजल्ट देते हैं। इस कारण आरटीपीसीआर टेस्ट को कोविड के लिहाज से सबसे ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है। आप चाहे रैपिड एंटीजन या फिर आरटीपीसीआर, किसी भी टेस्ट में पॉजिटिव आ गए, तो आपको सबसे पहला कदम यह उठाना है कि आप खुद को सबसे अलग कर लें और किसी डॉक्टर से संपर्क करें। उसके बाद आप में लक्षणों की गंभीरता के मुताबिक कुछ जांच की सलाह दी जाती है। संभव है कि इलाज के दौरान कई बार जांच करवानी पड़े।

होम आइसोलेशन के मरीजों को भी डॉक्टर सीआरपी टेस्ट की सलाह क्यों दे रहे हैं?

मरीज में कोरोना के गंभीर लक्षण हैं तो उसमें सीआरपी लेवल तेजी से बदलता है। यह बताता है कि मरीज की हालत बिगड़ रही है या नहीं। नियमित तौर पर सीआरपी टेस्ट करने से डॉक्टर होम आइसोलेशन वाले मरीज की ताजातरीन स्थिति से अवगत होते रहते हैं। उन्हें अंदाजा हो जाता है कि मरीज की स्थिति बिगड़ने वाली है या फिर सब ठीक-ठाक है।

ब्लड इन्फ्लामेटरी मार्कर टेस्ट कितने कारगर होते हैं?

गंभीर लक्षण हों सीआरपी, ईसीआर, फेरिटिन, एलडीएच और प्रो-कैल्सिटोनिन आदि के लेवल बढ़ जाते हैं। इस कारण इनकी जांच करवाने से बीमारी के स्तर का भी पता चलता रहता है और डॉक्टर इसके अनुरूप इलाज करते रहते हैं। अगर मरीज में आईएल-6 जैसे साइटोकाइंस और 'ट्यूमर नर्कोसिस फैक्टर अल्फा' बढ़ने लगें तो अन्य समस्याओं के साथ ही फेफड़े को नुकसान होने लगता है। अब तक की स्टडीज में पता चला है कि आईएल-6 और डी-डाइमर का बहुत करीबी संबंध है और शुरुआती दौर में ही संक्रमण की गंभीरता का पता लगाने के लिए इन दोनों के स्तर की जानकारी महत्वपूर्ण होती है।

आपको कब कोविड एंटीबॉडी टेस्ट करवाना चाहिए?

कोविड एंटीबॉडी टेस्ट को आमतौर पर इम्यूनोग्लोब्युलिन-जी (IgG) टेस्ट कहा जाता है। आईजीजी एंटीबॉडीज का पता टीका लगवाने या फिर कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखने के अक्सर 14 से 21 दिन बाद चलता है। अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि क्या एंटीबॉडीज लंबे समय तक बनी रहती है और क्या इसकी मौजदूगी में फिर से संक्रमण हो सकता है या नहीं। इसलिए आईजीजी टेस्ट की जरूरत पड़ती है, क्योंकि यह टेस्ट सिर्फ यही नहीं बताता कि एंटीबॉडीज बनी है या नहीं, बल्कि यह भी बताता है कि कितनी मात्रा में बनी है। इस मकसद से कोविड आईजीएम टेस्ट भी किया जाता है। आईजीएम एंटीबॉडीज संक्रमण के सातवें दिन बनता है जो 28 दिनों तक टिका रह सकता है। अगर आईजीएम टेस्ट पॉजिटिव आया हो तो इसका मतलब है व्यक्ति को हाल में (28 दिनों से कम वक्त में) कोरोना संक्रमण हुआ था।

सीटी स्कैन की जरूरत कब पड़ती है?

डॉक्टर्स का कहना है कि हरेक संदिग्ध मामले में या हरेक कोविड पॉजिटिव मरीज को सीटी स्कैन करवाने की जरूरत नहीं पड़ती। डॉक्टर्स इन हालात में सीटी स्कैन करवाने की सलाह देते हैं :

  • मरीज में कोविड के लक्षण हों लेकिन आरटीपीसीआर टेस्ट नेगेटिव आ गया हो। ऐसी परिस्थिति में सीटी स्कैन की जरूरत पड़ती है तो यह संक्रमण के पांचवें और सातवें दिन किया जाना चाहिए। ध्यान रहे कि कोरोना के म्यूटेंट वैरिएंट, टेस्ट करने में तकनीकी खामी या मरीज में वायरस की मात्रा बेहद कम होने के कारण संक्रमित व्यक्ति का आरटीपीसीआर टेस्ट भी नेगेटिव आ जाता है।
  • मरीज की सांसें उखड़ रही हों, ऑक्सिजन सैचुरेशन गिर रहा हो तब सीटी स्कैन करवा लेने से बीमारी की गंभीरता का अंदाजा लग जाता है।
  • सीटी स्कैन में बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण या हृदयगति रुक जाने (Cardiac Failure) का पता चल जाता है। सीटी स्कैन नहीं कराने पर इन समस्याओं को भी बेवजह कोविड से जोड़कर देखा जाता है।
  • मामूली लक्षण वाले मरीजों का सीटी स्कैन तभी करवाना चाहिए जब आरटीपीसीआर टेस्ट की सुविधा उपलब्ध नहीं हो या फिर इस बात का डर हो कि जांच में देरी होने पर मरीज की स्थिति बिगड़ सकती है।
  • यह कुछ आपातकालीन परिस्थितियों में किया जा सकता है। उदाहरण के लिए जब किसी मरीज को इमरजेंसी सर्जरी की जरूरत पड़े और आरटीपीसीआर या रैपिड एंटीजन टेस्टिंग उपलब्ध नहीं हो।
  • अगर मरीज पूरी तरह रिकवर हो गया है तो उसको सीटी स्कैन कराने की जरूरत नहीं है जब तक कि डॉक्टर नहीं कहें।
  • अगर कोरोना के लक्षण नहीं हों तो यूं ही संदेह मिटाने के लिहाज से भी सीटी स्कैन करवाने की भी जरूरत नहीं है।

कोविड टेस्ट किसे करवाना चाहिए?

  • अगर आपको खांसी, बुखार या कोविड के अन्य कोई लक्षण हैं तो आपको यह टेस्ट करवाना चाहिए। अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं, लेकिन आप में संक्रमण के कोई लक्षण नहीं हों तो भी आपको जांच करवाना चाहिए।
  • अगर संक्रमण के लक्षण हों तो 1-2 दिन में आरटीपीसीआर या रैपिड एंटीजन टेस्ट करवा लें।
  • अगर आरटीपीसीआर टेस्ट नेगेटिव आए और लक्षण दिखें तो 1-2 दिन में फिर से टेस्ट करवा लें।
  • अगर रैपिड एंटीजन टेस्ट नेगेटिव आए तो तुरंत आरटीपीसीआर टेस्ट करवाएं।
  • अगर कोरोना के लक्षण नहीं हों तो खुद को आइसोलेट करने के 5 से 7 दिन के बाद आरटीपीसीआर टेस्ट करवाएं।
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