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देशभर की प्रतिभाओं की मेहनत है चंद्रयान-3, पेलोड में लगे कैमरों ने दिखाया कामयाबी का रास्ता, सफल लैंडिंग के लिए पूजा अर्चना

दिल्ली Published by: Paliwalwani Updated Wed, 23 Aug 2023 09:47 AM
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नई दिल्ली :

भारत (India) चांद के कदम चूमने को तैयार है। इसरो के मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को सफल बनाने के पीछे देशभर की प्रतिभाओं की मेहनत छिपी है। देश के अलग-अलग शहरों से जुड़े वैज्ञानिकों (scientists) ने अपने हुनर और कौशल के जरिए मिशन को अत्याधुनिक बनाया है। किसी ने अत्याधुनिक कैमरा (camera), किसी ने विशेष सॉफ्टवेयर (specialized software) बनाया है जिसके जरिए हमारा चंद्रयान सही दिशा में लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है। तो आइए जानते हैं ऐसे ही मेधाओं के बारे में जो मिशन की सफलता के मुख्य आधार हैं।

फतेहपुर : पेलोड में लगे कैमरों ने दिखाया कामयाबी का रास्ता

चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर में लगे अत्याधुनि कैमरों को फतेहपुर के अंतरिक्ष विज्ञानी सुमित कुमार और उनकी टीम ने डिजाइन किया है। सुमित वर्ष 2008 से इसरो के अहमदाबाद स्थित केंद्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सुमित और उनकी टीम ने चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर में लगे पांच कैमरों को अत्याधुनिक तरीके से डिजाइन किया है। पेलोड में लगे कैमरों ने लैंडर और रोवर को चांद पर ठहरने का स्थान और दिशा दिखाने में मदद की है। आगे भी रोवर चंद्रमा की मिट्टी का आकलन करेगा और आंकड़े लैंडर को भेजेगा।

उन्नाव : चंद्रयान की लैंडिंग के सिस्टम पर काम

लांचिंग से लेकर लैंडर प्रोपल्शन सिस्टम के विकास में युवा अंतरिक्ष वैज्ञानिक आशीष मिश्रा का अहम योगदान है। आशीष विशेष रूप से नियंत्रण इलेक्ट्रॉनिक्स और थ्रॉटलिंग वाल्वो के विकास में सहायक सदस्य रहे हैं, जो चन्द्रयान-3 की लैंडिंग के लिए महत्वपूर्ण होता है। वर्ष वर्ष 2008 से इसरो में काम शुरू किया था। पीएसएलवी, जीएसएलवी और एलवीएम-3 में भी योगदान है। आशीष को इसरो में 14 साल का अनुभव है। वह नियंत्रण इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में हैं और पीएसएलवी, जीएसएलवी और एलवीएम-3 में योगदान दे चुके हैं।

मिर्जापुर : लैंडिंग-कंट्रोलिंग में मिर्जापुर का लाल

चंद्रयान-3 की लैंडिंग से लेकर कंट्रोलिंग में मिर्जापुर के लाल आलोक पांडेय की अहम भूमिका है। भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त आलोक के पिता संतोष पांडेय ने बताया कि मंगलयान अभियान-2 में बेहतर कार्य करने पर आलोक को इसरो ने उत्कृष्ट वैज्ञानिक पुरस्कार दिया था। इसी को देखते हुए चंद्रयान-3 की लैंडिंग और कम्युनिकेशन की जिम्मेदारी उन्हें मिली। आलोक ने पिता को बताया है कि चंद्रयान-3 सही दिशा में जा रहा और कंट्रोलिंग बेहतर है। मिशन की सफलता 100 फीसदी निश्चित है।

मुरादाबाद : चंद्रयान 3 की आभा में रोशन मुरादाबाद के सितारे

चंद्रयान-3 मिशन को सफल बनाने के लिए शहर के तीन वैज्ञानिक मेघ भटनागर, अनीश रमन सक्सेना और रजत प्रताप सिंह की अहम भूमिका है। इसरो, बेंगलुरु में कार्यरत मेघ चंद्रयान 3 का ब्रेन माने जा रहे ऑनबोर्ड सॉफ्टवेयर के क्वालिटी कंट्रोलिंग का जिम्मा संभाल रहे हैं। इसी से चंद्रयान सही रास्ता ढूंढकर लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है। रजत प्रताप सिंह ने चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने वाले रॉकेट की कंट्रोलिंग करके इस मिशन का हिस्सा बने हैं। अनीश रमन सक्सेना मिशन चंद्रयान वन से लगातार इस अभियान में अपना सक्रिय योगदान कर रहे हैं। वर्तमान में इसरो, अहमदाबाद में कार्यरत अनीश ने अपनी टीम के साथ चंद्रयान टू के आर्बिटर के जो प्रोब्स तैयार किए थे उन्होंने चंद्रयान 3 का सफर शुरू होने और लगातार तेजी के साथ आगे बढ़ने के समय भी इसका दामन नहीं छोड़ा।

रांची : लॉन्चिंग पैड समेत कई उपकरणों का निर्माण

रांची के हेवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन( एचईसी ) ने कई महत्वपूर्ण उपकरणों का निर्माण किया है। इसमें होरिजेंटल स्लाइडिंग डोर, फोल्डिंग प्लेटफार्म और विल बोगी सिस्टम प्रमुख है। इन सभी उपकरणों का इस्तेमाल असेंबलिंग एरिया से लांचिंग पैड तक में किया जाता है। इसरो के सभी प्रोजेक्ट के कई काम एचईसी ने पूरे किए हैं। चंद्रयान समेत सभी उपग्रहों को अंतरिक्ष में जिस लांचिंग पैड से भेजा जाता है उसका निर्माण एचईसी ने ही किया है। हर साल एचईसी को इसरो के किसी न किसी प्रोजेक्ट का काम मिलता रहता है। एचईसी गगनयान के लिए भी लांचिंग पैड बना रहा है।

प्रयागराज: हेजार्डस डिटेक्शन मैकेनिज्म बनाया

वैज्ञानिक हरिशंकर गुप्ता चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 को सुरक्षित उतारने के लिए हेजार्डस डिटेक्शन मैकेनिज्म बनाया है। इस मैकेनिज्म से चंद्रमा की सतह पर उतरने के दौरान लैंडर खुद ही क्रेटर या गड्ढे के खतरे को भांप लेगा और स्वयं सुरक्षित सतह को खोजकर लैंड करेगा। इसमें इंटेलिजेंस सेंसर प्रयोग किए गए हैं। हरिशंकर गुप्ता चंद्रयान-1, और चंद्रयान-2 में भी शामिल रहे हैं। एमएनएनआईटी से 2017 में इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार ब्रांच से एमटेक करने वालीं नेहा की 2017 में बंगलुरू स्थित इसरो में वैज्ञानिक के रूप में नियुक्ति हुई थी।

प्रतापगढ़ : पहली बार चंद्रयान-3 में लगाया ‘शेप’

चंद्रयान-3 में ‘शेप (एसएचएपीई) लगाने का काम प्रतापगढ़ के रवि केसरवानी और उनकी टीम ने किया है। रवि के अनुससार अब तक यान को चंद्रमा से रिफलेक्ट होने वाला प्रकाश मिलता है। ‘शेप’ लगने से यान सीधे ‘अर्थ’(धरती) से जुड़कर प्रकाश ले रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है। चंद्रयान-2 में यह व्यवस्था नहीं थी। चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर न उतर पाने के कारण जब चंद्रयान-3 की तैयारी शुरू की गई। तैयारी से पहले सभी वैज्ञानिकों से मीटिंग में सुझाव मांगे गए कि चंद्रयान-3 में कोई नया उपकरण जोड़ा जा सकता है। तब रवि की टीम ने चंद्रयान-3 में ‘शेप’ का सुझाव दिया था। रवि के पिता ओमप्रकाश केसरवानी कुंडा कस्बे के सरयूनगर मोहल्ले में किराने की दुकान चलाते हैं।

गया : सफल लैंडिंग के लिए पूजा अर्चना

चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की खातिर गया के खरखुरा मोहल्ले में रोमांच का माहौल है। चंद्रयान मिशन में शामिल मोहल्ले के वैज्ञानिक सुधांशु कुमार (25) के माता पिता मिशन की सफलता के लिए पूजा पाठ कर रहे हैं। सुधांशु की मां बिंदु देवी व पिता महेंद्र प्रसाद बताते हैं कि सफल लैंडिंग से भारत का दुनिया में नाम रोशन हो यही कामना है। इसी के लिए मां देवी देवताओं की पूजा में जुटी हैं। सुधांशु के पिता महेंद्र प्रसाद आटा चक्की संचालक हैं। सुधांशु सितंबर 2021 में इसरो से जुड़े थे। वर्तमान में श्रीहरिकोटा में सेवारत हैं।

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