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Jharkhand.
चाईबासा
आज जो आप देख रहे हैं सदर अस्पताल चाईबासा की इतनी चमक-धमक है, वह वास्तविकता से अंदर से बिल्कुल मेल नहीं खाती। कई चीज़ों की इस अस्पताल में गंभीर असुविधा है। पश्चिम सिंहभूम से या अन्य गाँव से आने वाले लोग, सुविधा न होने के कारण कुछ कह नहीं पाते।लेकिन सच्चाई यह है कि यहाँ कई ऐसी मूलभूत सुविधाएँ 100 प्रतिशत होनी चाहिए, जो आज उपलब्ध नहीं हैं।
पानी की समस्या
सरकार का नारा है – “जल ही जीवन है”, लेकिन सदर अस्पताल में न महिला वार्ड और न ही पुरुष वार्ड में पीने के पानी की सही व्यवस्था है।
पूरे अस्पताल में केवल दो जगह पानी मिलता है।
1. कैंटीन/रसोईघर में – जहाँ गर्म पानी ₹5 प्रति बोतल और नॉर्मल पानी ₹2 प्रति बोतल मिलता है।
2. ओपीडी में – जहाँ एक मशीन लगी है, लेकिन उससे आने वाला पानी साफ है या नहीं, इसका कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इस मशीन में लगे तीन नलों से केवल नॉर्मल पानी ही आता है।
- मरीजों को पीने के पानी के लिए दो-दो मंज़िल नीचे उतरना पड़ता है। अस्पताल में न तो ठंडे पानी की व्यवस्था है और न ही गर्म पानी की।
- अगर कोई व्यक्ति दो दिन अस्पताल में रुकेगा तो उसे खुद ही इस कठिनाई का अहसास हो जाएगा।
- स्वच्छता की बदहाल स्थिति
- सरकार का एक और नारा है –
- स्वस्थ भारत, एक कदम स्वच्छता की ओर।
- लेकिन हकीकत यह है कि सदर अस्पताल में स्वच्छता की स्थिति बेहद खराब है।
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि लेटरिन/बाथरूम में एल्युमिनियम का गेट टूटा और झूलता हुआ है। सफाई की स्थिति ऐसी है कि बदबू से मरीज और भी बीमार पड़ने की संभावना रखते हैं।
अन्य गंभीर समस्याएँ
- अस्पताल में बिस्तरों की भारी कमी है।
- बुनियादी सुविधाएँ न होने के कारण मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है।
बड़ा सवाल...!
- ₹215 करोड़ की लागत से बना यह अस्पताल क्या मात्र ₹25 लाख खर्च करके साफ पानी, स्वच्छ शौचालय और पर्याप्त बिस्तरों की व्यवस्था नहीं कर सकता?
- इतना छोटा सुधार करने में सरकार का पैसा ख़त्म नहीं होगा, लेकिन इससे हजारों मरीजों की ज़िंदगी आसान हो सकती है।
- युवा भाजपा नेता दुवारिका शर्मा (आईटी सेल संयोजक, चाईबासा नगर) ने कहा:
- सरकार का नारा तभी सार्थक होगा जब मरीजों को अस्पताल में बुनियादी सुविधाएँ – साफ पानी, स्वच्छ शौचालय और बेड – उपलब्ध कराई जाएँ। सदर अस्पताल की अंदरूनी स्थिति तुरंत सुधारने की जरूरत है।