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अस्थायी नियुक्ति के विरोध में होगा बड़ा आंदोलन : 7 सितंबर से जुटेंगे प्रदेशभर के कर्मचारीगण

भोपाल Published by: paliwalwani Updated Tue, 26 Aug 2025 02:01 AM
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भोपाल. कर्मचारी नेता ने पालीवाल वाणी को बताया कि नौकरी में सुरक्षा और सम्मानजनक वेतन के लिए आउटसोर्स और अस्थायी नियुक्ति व्यवस्था के विरोध में सात सितंबर 2025 से धरना आंदोलन शुरू होगा। इसमें श्रम कानूनों में संशोधन करके सरकार द्वारा वेतन, काम के घंटे तय करने का अधिकार कंपनियों, ठेकेदारों को देने का विरोध प्रकट कर धरना आंदोलन होगा.

आंदोलन के मुख्य कारण और मांगें :

  • आउटसोर्स कर्मचारियों की नियमित नियुक्ति : आउटसोर्स के तहत कार्यरत अस्थायी कर्मियों को उनके विभागों में स्थायी करने की मांग है, ताकि ठेका प्रथा समाप्त हो सके। 
  • अन्याय के खिलाफ आवाज : इस तरह की अस्थायी नियुक्तियों को युवाओं और कर्मचारियों के साथ अन्याय के रूप में देखा जाता है, जो नियमित नौकरी के लाभों से वंचित रहते हैं। 
  • न्यूनतम वेतन और उचित भत्ते : पंचायतों के कर्मचारियों, जैसे कि चौकीदार और पंप ऑपरेटरों को न्यूनतम वेतन और अन्य उचित भत्तों की मांग भी की जाती है। 
  • नियमों का पालन : कई मामले ऐसे हैं जहां सरकार नौकरी के स्थायी लाभ से बचने के लिए अस्थायी नियुक्तियां करती है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी गलत माना है,

आंदोलन के विभिन्न रूप :

ज्ञापन सौंपना : कई बार आउटसोर्स कर्मचारी अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से मुख्यमंत्री और श्रम मंत्रियों को ज्ञापन सौंपते हैं। 

विरोध प्रदर्शन और हड़तालें : 7 सितंबर 2024 को मध्य प्रदेश के नीलम पार्क में प्रदेशभर के संगठन एकत्र हुए थे, जबकि 22 जुलाई 2025 को पूरे मध्य प्रदेश में ज्ञापन सौंपने का आह्वान किया गया था। 

यह आंदोलन केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा की जाने वाली अस्थायी और आउटसोर्स नियुक्तियों के विरोध में एक व्यापक पहल है, जिसका उद्देश्य सभी अस्थायी कर्मचारियों के लिए बेहतर और स्थायी भविष्य सुनिश्चित करना है। 

  • Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों को नौकरी के स्थायी लाभ देने से बचने के लिए सरकारों की ओर से संविदा पर अस्थायी नियुक्तियां करने के चलन की आलोचना भी की।

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि सरकारी विभागों और संस्थानों में स्वीकृत पदाें पर लंबे समय से संविदा पर काम कर रहे अस्थायी कर्मचारियों को इस आधार पर नौकरी में नियमित करने से नहीं रोका जा सकता कि उनकी प्रारंभिक नियुक्ति अस्थायी तौर पर की गई थी। कोर्ट ने कर्मचारियों को नौकरी के स्थायी लाभ देने से बचने के लिए सरकारों की ओर से संविदा पर अस्थायी नियुक्तियां करने के चलन की आलोचना भी की। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी.वराले की बेंच ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद नगर निगम में माली के पद पर 1999 से अस्थायी तौर पर काम कर रहे कर्मचारियों की याचिका पर यह फैसला दिया।

स्वीकृत पदों पर अस्थायी कर्मियों को स्थायी नियुक्ति अनुचित नहीं

कोर्ट ने कहा कि भारतीय श्रम कानून स्थायी प्रकृति के काम वाले पद पर लगातार दैनिक वेतन या संविदा पर कर्मचारी रखने का विरोध करता है। अपीलकर्ता-कर्मचारी वर्षों से स्थायी कर्मचारियों के समान कार्य करते रहे हैं, लेकिन उन्हें उचित वेतन और लाभ से वंचित रखा गया। कोर्ट ने सरकार का यह तर्क भी खारिज कर दिया कि भर्ती पर रोक होने के कारण अस्थायी कर्मियों को नियमित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कर्मचारियों की अपील स्वीकार करते हुए नगर पालिका को छह माह के भीतर नियमितीकरण प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया।

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